loader image

स्कन्द पुराण हिंदी में

महर्षि वेदव्यास रचित 18 पुराणों में से एक पुराण स्कन्द पुराण (Skanda Purana in Hindi) है। पुराणों की सूचि में स्कन्द पुराण तेहरवा स्थान प्राप्त है। यह पुराण श्लोको की दृष्टि से सभी पुराणों में बड़ा है। इसमें भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय द्वारा शिवतत्व का विस्तृत वर्णन कहा गया हे, इसलिए इस पुराण का नाम स्कन्द पुराण है। स्कन्द का अर्थ क्षरण अर्थात् विनाश संहार के देवता हैं। भगवान शिव के पुत्र का नाम ही स्कन्द ( कार्तिकेय ) है। तारकासुर का वध करने के लिए कार्तकेय का जन्म हुआ था।

यहां एक क्लिक में पढ़े ~ स्कन्द पुराण अंग्रेजी में

भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) के द्वारा स्कन्दपुराण’ कहा गया है। स्कंदपुराण में बद्रिकाश्रम, अयोध्या, जगन्नाथपुरी, काशी, शाकम्भरी, कांची, रामेश्वर, कन्याकुमारी, प्रभास, द्वारका आदि तीर्थों की महिमा का वर्णन कहा गया है। इस पुराण में सत्यनारायण व्रत-कथा, गंगा, नर्मदा, यमुना, सरस्वती आदि पवित्र नदिओं की कथा और रामायण, भागवतादि ग्रन्थों का माहात्म्य की कथा अत्यन्त रोचक वर्णन किया गया है।

स्कंदपुराण (Skanda Purana in Hindi) लौकिक और पारलौकिक ज्ञान से भरा पड़ा है। इस पुराण में धर्म, भक्ति, योग, ज्ञान और सदाचार के मनमोहक वर्णन मिलता है। आज भी हिन्दू के घर घर में स्कन्द पुराण में वर्णित व्रत-कथा पद्धतियों, आचारो किये जाते है। स्कन्द पुराण में भगवान शिवजी की महिमा, शिव पार्वती विवाह, कार्तिकेय जन्म कथा और सती चरित्र आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है।

स्कन्द पुराण के माहेश्वरखण्ड के कौमारिकाखण्ड के अध्याय 23 में दस पुत्रों के बराबर एक पुत्री को कहा गया है।

दशपुत्रसमा कन्या दशपुत्रान्प्रवर्द्धयन्।
यत्फलं लभते मर्त्यस्तल्लभ्यं कन्ययैकया॥ २३.४६ ॥

अर्थात :-
एक पुत्री दस पुत्रों के समान है। कोई भी मनुष्य दस पुत्रों के लालन-पालन करने से जो फल मिलता है वही फल केवल एक कन्या का पालन-पोषण करने से मिलता है।

परिचय:-

वेदव्यास रचित हिन्दुओ के 18 पवित्र पुराणों में से एक स्कन्द पुराण (Skanda Purana in Hindi) है। इस पुराण में 6 खण्ड और 81,000 श्लोक मिलते है। इस पुराण का रचनाकाल सातवीं शताब्दी का माना जाता है। यह पुराण का प्रमुख विषय भारत के शैव तीर्थों और वैष्णव तीर्थों के उपाख्यानों और पूजा पद्धति का वर्णन करता है।

सत्यनारायण व्रत कथा जो हिन्दुओ के घर घर में प्रसिद्ध हे, यह कथा इस पुराण के रेवाखण्ड में मिलती है। यह पुराण तीर्थो, धर्म, भक्ति, योग, ज्ञान आदि के वर्णन के माध्यम से पुरे देश का भौगोलिक वर्णन प्रस्तुत करता है।

स्कन्द पुराण शैव पुराण है, परंतु इस पुराण में ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओ का भी वर्णन मिलता है। स्कन्द पुराण के 6 खण्ड हे, जो निम्नलिखित है।

1 ) माहेश्वर खण्ड,
2 ) वैष्णव खण्ड,
3 ) ब्रह्म खण्ड,
4 ) काशी खण्ड,
5 ) अवनति खण्ड और
6 ) रेवा खण्ड

1 ) माहेश्वर खण्ड:-

माहेश्वर खण्ड स्कन्द पुराण का प्रथम खण्ड है। यह खण्ड विशाल कथाओं से परम् पवित्र परिपूर्ण है। स्कन्द पुराण का आरम्भ माहेश्वर खण्ड में केदार माहात्मय से हुआ है। इस खण्ड में सबसे पहले दक्ष यज्ञ की कथा, शिवलिंग पूजन का फ़ल, समुद्र मन्थन की कथा, देवराज इन्द्र के चरित्र वर्णन, पार्वती का उपाख्यान और उनके विवाह का प्रसंग बताया गया है।

2 ) वैष्णव खण्ड:-

वैष्णव खण्ड स्कन्द पुराण का दूसरा खण्ड है। इस खण्ड में भगवती पृथ्वी और वराह भगवान का संवाद, सुवर्णमुखरी नदी के माहात्मय, उपाख्यानों से युक्त भरद्वाज की अद्भुत कथा, मतंग और अंजन के पापनाशक संवाद, पुरुषोत्तम क्षेत्र का माहात्मय, मार्कण्डेयजी की कथा वर्णन, जैमिनि और नारद का आख्यान, नीलकण्ठ और नृसिंह का वर्णन, अश्वमेघ यज्ञ की कथा, रथयात्रा विधि, जप और स्नान की विधि कही गयी है।

वैष्णव खण्ड ज्ञानवर्धक, पुण्य और मोक्ष को प्राप्त करने के लिए बहोत ही उपयोगी कहा गया है। इस खण्ड में वैष्णवी शक्ति का रूप भगवन विष्णु को माना गया है। वैष्णव धर्म के बारे में महामुनि नारदजी ने बताया है।

3 ) ब्रह्म खण्ड:-

ब्रह्म खण्ड स्कन्द पुराण का तीसरा खण्ड है। इस खण्ड में सेतु माहात्म्य, दर्शन का फल, देवीपत्तन में चक्रतीर्थ की महिमा, वेतालतीर्थ का माहात्म्य, रामेश्वर की महिमा, सेतु यात्रा विधि वर्णन, धर्मारण्य का उत्तम माहात्मय, कर्मसिद्धि का उपाख्यान ऋषिवंश का निरूपण आदि का वर्णन किया गया है। लोहासुर की कथा वर्णन, गंगाकूप का वर्णन, श्रीरामचन्द्र का चरित्र वर्णन, जीर्णोद्धार की महिमा का वर्णन, व्रत की महिमा, तपस्या और पूजा का माहात्म्य, भद्रायु की उत्पत्ति का वर्णन आदि का वर्णन मिलता है।

4 ) काशी खण्ड:-

काशी खण्ड स्कन्द पुराण का चौथा खण्ड है। विंध्यचल पर्वत और नारदजी संवाद वर्णन, ब्रह्मलोक विष्णुलोक ध्रुवलोक और तपोलोक का वर्णन, अविमुक्तेश्वर का वर्णन, काशी का वर्णन आदि का वर्णन काशी खण्ड में बताया गया है।

काशी खण्ड में प्रयाग को तीर्थो का राजा बताया गया है। काशी के माहात्म्य का वर्णन करते हुए-
असि सम्भेदतोगेन काशीसंस्थोऽमृतो भवेत्।
देहत्यागोऽत्रवैदानं देहत्यागोऽत्रवैतप:॥

भावार्थ:-
अनेक जन्मों से प्रसिद्ध, प्राकृत गुणों से युक्त तथा असि सम्भेद के योग से काशीपुरी में निवास करने से विद्वान पुरुष अमृतमय हो जाता है। वहां अपने शरीर का त्याग कर देना ही दान होता है। यही सबसे बड़ा तप है। इस पुरी में अपना शरीर छोड़ना बड़ा भारी योगाभ्यास है, जो मोक्ष को प्राप्त करने वाला है।

5 ) अवनति खण्ड:-

अवनति खण्ड स्कन्द पुराण का पांचवा खण्ड है। इस खण्ड में महाकाल का आख्यान वर्णन, अग्नि की उत्पत्ति का वर्णन, सिद्याधर तीर्थ, दशाश्वमेघ माहात्म्य, वाल्मीकेश्वर महिमा का वर्णन, गणेश महिमा, परशुराम जन्म कथा, सोमवती तीर्थ, रामेश्वर तीर्थ, सौभाग्य तीर्थ, गया तीर्थ, नाग तीर्थ, गंगेश्वर, प्रयागेश्वर तीर्थ आदि तीर्थो का वर्णन बताया गया है।

इस खण्ड में गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, वितस्ता, चन्द्रभागा आदि पवित्र नदिओं का वर्णन कहा गया है। सनत्कुमार जी कहते हे की शिप्रा नदी के तट पर स्थित अवन्तिका तीर्थ के दर्शन मात्र से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर लेता है।

6 ) रेवा खण्ड:-

रेवा खण्ड स्कन्द पुराण (Skanda Purana in Hindi) का छठा खण्ड है। इस खण्ड में पुराण संहिता का विस्तृत वर्णन किया गया है। नर्मदा और कावेरी संगम का वर्णन, शूल भेद प्रशंसा, कालरात्रि कृत जगत् संहार का वर्णन, सृष्टि संहार का वर्णन, शिव स्तुति का वर्णन, वराह वृत्तान्त, सत्यनारायण व्रत का वर्णन, विविध तीर्थों, भीमेश्वर तीर्थ, नारदेश्वर तीर्थ, दीर्घ स्कन्द और मधुस्कन्द तीर्थ, सुवर्ण शिला तीर्थ, करंज तीर्थ, कामद तीर्थ, भंडारी तीर्थ, स्कन्द तीर्थ, अंगिरस तीर्थ, कोटि तीर्थ, केदारेश्वर तीर्थ, पिशाचेश्वर तीर्थ, अग्नि तीर्थ, सर्प तीर्थ, श्रीकपाल तीर्थ एवं जमदग्नि तीर्थ आदि तीर्थो का वर्णन मिलता है।

इस पुराण में प्रस्तुत कथाओ के माध्यम से भोगोलिक ज्ञान और प्राचीन इतिहास पुराण की विशेषता हे। इस पुराण में वर्णित कथाओ, व्रत, आख्यान, त्योहारों आदि के दर्शन हिन्दू संस्कृति में मिलते है।

 

यह भी पढ़े:

Shrimad Bhagvat Geeta in Engli sh ~ सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता in Hindi

Valmiki Ramayana in English  ~  “वाल्मीकि रामायण” in Hindi

Mahabharata in English  ~  “महाभारत” in Hindi

Shri Ramcharitmanas in English  ~  श्री रामचरितमानस  in Hindi

Please wait while flipbook is loading. For more related info, FAQs and issues please refer to DearFlip WordPress Flipbook Plugin Help documentation.

Share

Related Books

Share
Share