Shri Lalita Sahasranama Stotram in Hindi [7 Minute]
श्री ललिता सहस्रनाम स्तॊत्रम् (Lalita Sahasranama Stotram) देवी ललिता का पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है। देवी ललिता को षोडशी, त्रिपुर सुंदरी, लीलावती, लीलामती, राजराजेश्वरी आदि नमो से भी जाना जाता है। ललिता सहस्रनाम का महत्वपूर्ण स्तॊत्रम् ‘ब्रह्माण्ड पुराण’ में ‘ललितोपाख्यान’ दर्शाया गया है। ब्रह्माण्ड पुराण के उत्तर खण्ड में भगवान हयग्रीव और अगस्त्य ऋषि के संवाद के रूप में ललिता सहस्रनाम स्तॊत्र वर्णन मिलता है । इस स्तॊत्र को तीन भागो में विभाजित किया है। एक पूर्व भाग जिसमे देवी ललिता के सहस्रनाम और उत्पत्ति का वर्णन किया गया है। दूसरा स्तोत्र भाग जिसमे देवी ललिता के 1000 नाम का वर्णन किया गया है, और तीसरा उत्तर भाग जिसमे देवी ललिता के सहस्रनाम पठन के लाभ का वर्णन किया गया है।
ब्रह्माण्ड पुराण में भगवान हयग्रीव ने महर्षि अगस्त्य को यह स्तॊत्र के बारे में बताया था। माना जाता हे की, भगवान हयग्रीव ने देवी ललिता के 1000 नामों में से प्रत्येक नाम का अर्थ और महत्व कहा है। ललिता सहस्रनाम स्तॊत्रम् (Lalita Sahasranama Stotram) में वर्णित सर्व नाम देवी ललिता की प्रकृति, सृष्टि, स्थिति, पालन, संहार और उनके अलग-अलग अवतारों के गुणों का वर्णन करते है।
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को श्री ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ शुद्धता के साथ विधिविधान से करने से फल अवश्य प्राप्त होता है। इस दिन स्तोत्र का पाठ करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होकर अपार सम्पदा देती है। यह स्तोत्र का पाठ नियमित करने से पारिवारिक धन-वैभव-प्रसिद्धि में वृद्धि होती है। इसके नियमित पाठ से साधक की हर मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ-साथ रोग व्याधि दूर हो जाती है।
॥ श्री ललितासहस्रनाम स्तॊत्रम् ॥
(Lalita Sahasranama Stotram)
अस्य श्री ललिता सहस्रनामस्तॊत्र महामंत्रस्य वशिन्यादि वाग्दॆवता ऋषयः । अनुष्टुप् छंदः । श्री ललिता परमॆश्वरी दॆवता । श्रीमद्वाग्भवकूटॆति बीजं । मध्यकूटॆति शक्तिः । शक्तिकूटॆति कीलकं । मम श्रीललितामहात्रिपुरसुंदरीप्रसादसिद्धिद्वारा चिंतितफलावाप्त्यर्थॆ जपॆ विनियॊगः ॥
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॥ ध्यानम् ॥
सिंधूरारुण विग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौलिस्फुरत् ।
तारानायक शॆखरां स्मितमुखीमापीनवक्षॊरुहाम् ॥
पाणिभ्यामलिपूर्णरत्नचषकां रक्तॊत्पलं बिभ्रतीं ।
स्ॐयां रत्नघटस्थरक्तचरणां ध्यायॆत्परामंबिकाम् ॥
अरुणां करुणातरंगिताक्षीं धृतपाशांकुश पुष्पबाणचापाम् ।
अणिमादिभिरावृतां मयूखैरहमित्यॆव विभावयॆ भवानीम् ॥
ध्यायॆत्पद्मासनस्थां विकसितवदनां पद्मपत्रायताक्षीं हॆमाभां पीतवस्त्रां करकलितलसमद्धॆमपद्मां वरांगीम ।
सर्वालंकारयुक्तां सकलमभयदां भक्त नम्रां भवानीं श्रीविद्यां शांतमूर्तिं सकलसुरनुतां सर्वसंपत्प्रदात्रीम् ॥
सकुंकुम विलॆपना मळिकचुंबि कस्तूरिकां समंदहसितॆक्षणां सशरचाप पाशांकुषाम् ।
अशॆष जनमॊहिनी मरुणमाल्य भूषॊज्ज्वलां जपाकुसुम भासुरां जपविधौ स्मरॆदंबिकाम् ॥
लमित्यादि पंचपूजां कुर्यात् ।
लं – पृथिवीतत्त्वात्मिकायै श्री ललितादॆव्यै गंधं परिकल्पयामि ।
हं – आकाशतत्त्वात्मिकायै श्री ललितादॆव्यै पुष्पं परिकल्पयामि ।
यं – वायुतत्त्वात्मिकायै श्री ललितादॆव्यै धूपं परिकल्पयामि ।
रं – वह्नितत्त्वात्मिकायै श्री ललितादॆव्यै दीपं परिकल्पयामि ।
वं – अमृततत्त्वात्मिकायै श्री ललितादॆव्यै अमृतनैवॆद्यं परिकल्पयामि ।
सं – सर्वतत्त्वात्मिकायै श्री ललितादॆव्यै सर्वॊपचारान् परिकल्पयामि ।
(Lalita Sahasranama Stotram)
॥ अथ श्रीललितासहस्रनाम स्तॊत्रम्॥
ॐ श्री माता श्री महाराज्ञी श्रीमत्सिंहासनॆश्वरी ।
चिदग्निकुंडसंभूता दॆवकार्यसमुद्यता ॥ 1 ॥
उद्यद्भानुसहस्राभा चतुर्बाहुसमन्विता ।
रागस्वरूपपाशाढ्या क्रॊधाकारांकुशॊज्वला ॥ 2 ॥
मनॊरूपॆक्षु कॊदंडा पंचतन्मात्रसायका ।
निजारुण प्रभापूर मज्जद्ब्रह्मांडमंडला ॥ 3 ॥
चंपकाशॊकपुन्नाग सौगंधिकलसत्कजा ।
कुरुविंदमणिश्रॆणी कनत्कॊटीरमंडिता ॥ 4 ॥
अष्टमीचंद्र विभ्राजदलिकस्थलतॊभिता ।
मुखचंद्र कलंकाभ मृगनाभिविशॆषका ॥ 5 ॥
वदनस्मरमांगल्य गृहतॊरणचिल्लिका ।
वक्त्रलक्ष्मी परीवाहचलन्मीनाभलॊचना ॥ 6 ॥
नवचंपक पुष्पाभनासादंड विराजिता ।
ताराकांति तिरस्कारि नासाभरणभासुरा ॥ 7 ॥
कदंबमंजरी क्लुप्तकर्णपूर मनॊहरा ।
ताटंकयुगलीभूत तपनॊडुपमंडला ॥ 8 ॥
पद्मरागशिलादर्श परिभाविकपॊलभूः ।
नवविद्रुमबिंबश्री न्यक्कारिरदनच्छदा ॥ 9 ॥
शुद्धविद्यांकुराकार द्विजपंक्तिद्वयॊज्वला ।
कर्पूरवीटिकामॊद समाकर्षद्दिगंतरा ॥ 10 ॥
निजसल्लापमाधुर्य विनिर्भत्सितकच्छपी ।
मंदस्मित प्रभापूर मज्जत्कामॆशमानसा ॥ 11 ॥
अनाकलित सादृश्य चुबुकश्री विराजिता ।
कामॆशबद्धमांगल्य सूत्रशॊभितकंधरा ॥ 12 ॥
कनकांगदकॆयूर कमनीय भुजान्विता ।
रत्नग्रैवॆयचिंताकलॊलमुक्ताफलान्विता ॥ 13 ॥
कामॆश्वर प्रॆमरत्न मणिप्रतिपणस्तनी ।
नाभ्यालवालरॊमालिलताफलकुचद्वयी ॥ 14 ॥
लक्ष्यरॊमलताधार तासमुन्नॆयमध्यमा ।
स्तनभारदलन्मध्य पट्टबंधवलित्रया ॥ 15 ॥
अरुणारुण कौसुंभ वस्त्रभास्वत्कटीतटी ।
रत्नकिंकिणिकारम्य रशनादामभूषिता ॥ 16 ॥
कामॆशज्ञातसौभाग्य मार्दमॊरुद्वयान्विता ।
माणिक्यमुकुटादार जानुद्वयविराजिता ॥ 17 ॥
इंद्रगॊप परिक्षिप्त स्मरतूणाभजंघिका ।
गूढगुल्फा कूर्मपृष्ठजयिष्णु प्रपदान्विता ॥ 18 ॥
नखदीधितिसंछन्ननमज्जनतमॊगुणा ।
पदद्वय प्रभाजाल पराकृतसरॊरुहा ॥ 19 ॥
शिंजानमणिमंजीर मंडितश्रीपदांबुजा ।
मरालीमंदगमना महालावण्य शॆवधिः ॥ 20 ॥
सर्वारुणाऽनवद्यांगी सर्वाभरणभूषिता ।
शिवकामॆश्वरांकस्था शिवास्वाधीनवल्लभा ॥ 21 ॥
सुमॆरुमध्यशृंगस्था श्रीमन्नगरनायिका ।
चिंतामणिगृहांतस्थापंचब्रह्मासनस्थिता ॥ 22 ॥
महापद्माटवीसंस्था कदंबवनवासिनी ।
सुधासागरमध्यस्था कामाक्षी कामदायिनी ॥ 23 ॥
दॆवर्षिगणसंघात स्तूयमानात्मवैभवा ।
भंडासुरवधॊद्युक्त शक्तिसॆनासमन्विता ॥ 24 ॥
संपत्करी समारूढ सिंधुरव्रजसॆविता ।
अश्वरूढाधिष्ठिताश्वकॊटिकॊटिभिरावृता ॥ 25 ॥
चक्रराजरथारूढ सर्वायुधपरिष्कृता ।
गॆयचक्र रथारूढमंत्रिणीपरिसॆविता ॥ 26 ॥
किरिचक्र रथारूढ दंडनाथापुरस्कृता ।
ज्वालामालिनिकाक्षिप्त वह्निप्राकारमध्यगा ॥ 27 ॥
भंडसैन्यवधॊद्युक्त शक्ति विक्रमहर्षिता ।
नित्यापराक्रमाटॊप निरीक्षणसमुत्सुका ॥ 28 ॥
भंडपुत्रवधॊद्युक्त बालाविक्रमनंदिता ।
मंत्रिण्यंबाविरचित विषंगवधतॊषिता ॥ 29 ॥
विशुक्र प्राणहरण वाराही वीर्यनंदिता ।
कामॆश्वरमुखालॊक कल्पित श्रीगणॆश्वरा ॥ 30 ॥
महागणॆशनिर्भिन्न विघ्नयंत्रप्रहर्षिता ।
भंडासुरॆंद्र निर्मुक्तशस्त्रप्रत्यस्त्रवर्षिणी ॥ 31 ॥
करांगुलिनखॊत्पन्न नारायणदशाकृतिः ।
महापाशुपतास्त्राग्नि निर्दग्दासुरसैनिका ॥ 32 ॥
कामॆश्वरास्त्रनिर्दग्ध सभंडासुरशून्यका ।
ब्रह्मॊपॆंद्र महॆंद्रादिदॆवसंस्तुतवैभवा ॥ 33 ॥
हरनॆत्राग्नि संदग्ध कामसंजीवनौषधिः ।
श्रीमद्वाग्भवकूटैक स्वरूपमुखपंकजा ॥ 34 ॥
कंठाधःकटिपर्यंत मध्यकूटस्वरूपिणी ।
शक्तिकूटैकतापन्न कट्यधॊभागधारिणी ॥ 35 ॥
मूलमंत्रात्मिका मूलकूटत्रयकलॆवरा ।
कुलामृतैकरसिका कुलसंकॆतपालिनी ॥ 36 ॥
कुलांगना कुलांतस्थाकौलिनी कुलयॊगिनी ।
अकुला समयांतस्था समयाचारतत्परा ॥ 37 ॥
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(Lalita Sahasranama Stotram)
मूलाधारैकनिलया ब्रह्मग्रंथिविभॆदिनी ।
मणीपूरांतरुदिता विष्णुग्रंथिविभॆदिनी ॥ 38 ॥
आज्ञाचक्रांतरालस्था रुद्रग्रंथिविभॆदिनी ।
सहस्रारांबुजारूढा सुधासाराभिवर्षिणी ॥ 39 ॥
तटिल्लतासमरुचिः षट्चक्रॊपरिसंस्थिता ।
महाशक्तिः कुंडलिनी बिसतंतुतनीयसी ॥ 40 ॥
भवानी भावनागम्या भवारण्याकुठारिका ।
भद्रप्रिया भद्रमूर्तिः भक्तसौभाग्यदायिनी ॥ 41 ॥
भक्तिप्रिया भक्तिगम्या भक्तिवश्या भयापहा ।
शांभवी शारदाराध्या शर्वाणी शर्मदायिनी ॥ 42 ॥
शांकरी श्रीकरी साध्वी शरच्चंद्रनिभानना ।
शातॊदरी शांतिमती निराधारा निरंजना ॥ 43 ॥
निर्लॆपा निर्मला नित्या निराकारा निराकुला ।
निर्गुणा निष्कला शांता निष्कामा निरुपप्लवा ॥ 44 ॥
नित्यमुक्ता निर्विकारा निष्प्रपंचा निराश्रया ।
नित्यशुद्धा नित्यबुद्धा निरवद्या निरंतरा ॥ 45 ॥
निष्कारणा निष्कळंका निरुपाधिर्निरीश्वरा ।
नीरागा रागमथनी निर्मदा मदनाशिनी ॥ 46 ॥
निश्चिंता निरहंकारा निर्मॊहा मॊहनाशिनी ।
निर्ममा ममताहंत्री निष्पापा पापनाशिनी ॥ 47 ॥
निष्क्रॊधा क्रॊधशमनी निर्लॊभालॊभनाशिनी ।
निःसंशया संशयघ्नी निर्भवा भवनाशिनी ॥ 48 ॥
निर्विकल्पा निराबाधा निर्भॆदा भॆदनाशिनी ।
निर्नाशा मृत्युमथनी निष्क्रिया निष्परिग्रहा ॥ 49 ॥
निस्तुला नीलचिकुरा निरपाया निरत्यया ।
दुर्लभा दुर्गमा दुर्गा दुःखहंत्री सुखप्रदा ॥ 50 ॥
दुष्टदूरा दुराचारशमनी दॊषवर्जिता ।
सर्वज्ञा सांद्रकरुणा समानाधिकवर्जिता ॥ 51 ॥
सर्वशक्तिमयि सर्वमंगळा सद्गतिप्रदा ।
सर्वॆश्वरी सर्वमयि सर्वमंत्र स्वरूपिणी ॥ 52 ॥
सर्वयंत्रात्मिका सर्वतंत्ररूपा मनॊन्मनी ।
माहॆश्वरी महादॆवी महालक्ष्मीर्मृडप्रिया ॥ 53 ॥
महारूपा महापूज्या महापातकनाशिनी ।
महामाया महासत्वा महाशक्तिर्महारतिः ॥ 54 ॥
महाभॊगा महैश्वर्या महावीर्या महाबला ।
महाबुद्धिर्महासिद्धिर्महायॊगॆश्वरॆश्वरी ॥ 55 ॥
महातंत्रा महामंत्रा महायंत्रा महासना ।
महायागक्रमाराध्या महाभैरवपूजिता ॥ 56 ॥
(Lalita Sahasranama Stotram)
महॆश्वरमहाकल्प महातांडवसाक्षिणी ।
महाकामॆशमहिषी महात्रिपुरसुंदरी ॥ 57 ॥
चतुःषष्ट्युपचाराढ्या चतुःषष्टि कलामयि ।
महाचतुःषष्टि कॊटि यॊगिनीगणसॆविता ॥ 58 ॥
मनुविद्या चंद्रविद्या चंद्रमंडलमध्यगा ।
चारुरूपा चारुहासा चारुचंद्रकलाधरा ॥ 59 ॥
चराचरजगन्नाथा चक्रराजनिकॆतना ।
पार्वती पद्मनयना पद्मरागसमप्रभा ॥ 60 ॥
पंचप्रॆतासनासीना पंचब्रह्मस्वरूपिणि ।
चिन्मयी परमानंदा विज्ञानघनरूपिणी ॥ 61 ॥
ध्यानध्यातृध्यॆयरूपा धर्माधर्मविवर्जिता ।
विश्वरूपा जागरिणी स्वपंती तैजसात्मिका ॥ 62 ॥
सुप्ता प्राज्ञात्मिका तुर्या सर्वावस्थाविवर्जिता ।
सृष्टिकर्त्री ब्रह्मरूपा गॊप्त्रीगॊविंदरूपिणी ॥ 63 ॥
संहारिणी रुद्ररूपा तिरॊधानकरीश्वरी ।
सदाशिवानुग्रहदा पंचकृत्यपरायणा ॥ 64 ॥
भानुमंडलमध्यस्था भैरवी भगमालिनी ।
पद्मासना भगवती पद्मनाभसहॊदरी ॥ 65 ॥
उन्मॆषनिमिषॊत्पन्न विपन्नभुवनावळिः ।
सहस्रशीर्षवदना सहस्राक्षी सहस्रपात् ॥ 66 ॥
आब्रह्मकीटजननी वर्णाश्रमविधायिनी ।
निजाज्ञा रूपनिगमा पुण्यापुण्य फलप्रदा ॥ 67 ॥
श्रुतिसीमंतसिंधूरीकृत पादाब्जधूळिका ।
सकलागमसंदॊह शुक्तिसंपुटमौक्तिका ॥ 68 ॥
पुरुषार्थप्रदापूर्णा भॊगिनी भुवनॆश्वरी ।
अंबिकाऽनादिनिधना हरिब्रह्मॆंद्रसॆविता ॥ 69 ॥
नारायणी नादरूपा नामरूपविवर्जिता ।
ह्रींकारी ह्रीमतीहृद्या हॆयॊपादॆयवर्जिता ॥ 70 ॥
राजराजार्चिताराज्ञी रम्या राजीवलॊचना ।
रंजनी रमणी रस्या रणत्किंकिणिमॆखला ॥ 71 ॥
रमा राकॆंदुवदना रतिरूपा रतिप्रिया ।
रक्षाकरी राक्षसघ्नी रामा रमणलंपटा ॥ 72 ॥
काम्या कामकलारूपा कदंबकुसुमप्रिया ।
कल्याणी जगतीकंदा करुणारससागरा ॥ 73 ॥
कलावती कलालापा कांता कादंबरीप्रिया ।
वरदा वामनयना वारुणीमदविह्वला ॥ 74 ॥
विश्वाधिकावॆदवॆद्या विंध्याचलनिवासिनी ।
विधात्री वॆदजननी विष्णुमायाविलासिनी ॥ 75 ॥
क्षॆत्रस्वरूपा क्षॆत्रॆशि क्षॆत्रक्षॆत्रज्ञपालिनी ।
क्षयवृद्धिविनिर्मुक्ता क्षॆत्रपालसमर्चिता ॥ 76 ॥
विजया विमला वंद्या वंदारुजनवत्सला ।
वाग्वादिनी वामकॆशी वह्निमंडलवासिनी ॥ 77 ॥
भक्तिमत्कल्पलतिका पशुपाशविमॊचनी ।
संहृताशॆषपाषंडा सदाचारप्रर्तिका ॥ 78 ॥
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तापत्रयाग्नि संतप्तसमाह्लादन चंद्रिका ।
तरुणीतापसाराध्या तनुमध्या तमॊऽपहा ॥ 79 ॥
चतिस्तत्पदलक्ष्यार्था चिदॆकरसरूपिणी ।
स्वात्मानंदलवीभूत ब्रह्माद्यानंदसंततिः ॥ 80 ॥
परा प्रत्यक्चितीरूपा पश्यंती परदॆवता ।
मध्यमा वैखरीरूपा भक्तमानसहंसिका ॥ 81 ॥
कामॆश्वरप्राणनाडी कृतज्ञा कामपूजिता ।
शृंगाररससंपूर्णा जया जालंधरस्थिता ॥ 82 ॥
ऒड्याणपीठनिलया बिंदुमंडलवासिनी ।
रहॊयागक्रमाराध्या रहस्तर्पणतर्पिता ॥ 83 ॥
सद्यःप्रसादिनी विश्वसाक्षिणी साक्षिवर्जिता ।
षडंगदॆवतायुक्ता षाड्गुण्य परिपूरिता ॥ 84 ॥
नित्यक्लिन्नानिरुपमा विर्वाणसुखदायिनी ।
नित्याषॊडशिकारूपा श्रीकंठार्धशरीरिणी ॥ 85 ॥
प्रभावती प्रभारूपा प्रसीद्धा परमॆश्वरी ।
मूलप्रकृतिरव्यक्ता व्यक्ताव्यक्तस्वरूपिणी ॥ 86 ॥
व्यापिनी विविधाकारा विद्याऽविद्यास्वरूपिणी ।
महाकामॆशनयन कुमुदाह्लादक्ॐउदी ॥ 87 ॥
भक्तहार्दतमॊभॆद भानुमद्भानुसंततिः ।
शिवदूती शिवाराध्या शिवमूर्तिः शिवंकरी ॥ 88 ॥
शिवप्रिया शिवपरा शिष्टॆष्टा शिष्टपूजिता ।
अप्रमॆया स्वप्रकाशा मनॊवाचामगॊचरा ॥ 89 ॥
चिच्छक्तिश्चॆतनारूपा जडशक्तिर्जडात्मिका ।
गायत्री व्याहृतिः संध्या द्विजबृंदनिषॆविता ॥ 90 ॥
तत्त्वासना तत्त्वमयी पंचकॊशांतरस्थिता ।
निस्सीममहिमा नित्ययौवना मदशालिनी ॥ 91 ॥
मदघूर्णितरक्ताक्षी मदपाटलगंढभूः ।
चंदनद्रवदिग्धांगी चांपॆयकुसुमप्रिया ॥ 92 ॥
कुशला कॊमलाकारा कुरुकुल्लाकुलॆश्वरी ।
कुलकुंडालया कौलमार्गतत्परसॆविता ॥ 93 ॥
कुमारगणनाथांबा तुष्टिः पुष्ठिर्मतिधृतिः ।
शांतिःस्वस्तिमती कांतिर्नंदिनी विघ्ननाशिनी ॥ 94 ॥
तॆजॊवती त्रिनयना लॊलाक्षी कामरूपिणी ।
मालिनी हंसिनी माता मलयाचलवासिनी ॥ 95 ॥
सुमुखी नळिनी सुभ्रूः शॊभना सुरनायिका ।
कालकंठी कांतिमती क्षॊभिणी सूक्ष्मरूपिणी ॥ 96 ॥
वज्रॆश्वरी वामदॆवी वयॊऽवस्थाविवर्जिता ।
सिद्धॆश्वरी सिद्धविद्या सिद्धमाता यशस्विनी ॥ 97 ॥
विशुद्धिचक्रनिलया रक्तवर्णा त्रिलॊचना ।
खट्वांगादिप्रहरणा वदनैकसमन्विता ॥ 98 ॥
पायसान्नप्रिया त्वक्स्था पशुलॊकभयंकरी ।
अमृतादिमहाशक्ति संवृता डाकिनीश्वरी ॥ 99 ॥
अनाहताब्जनिलया श्यामाभा वदनद्वया ।
दंष्ट्रॊज्ज्वलाऽक्षमालादिधरा रुधिरसंस्थिता ॥ 100 ॥
काळरात्र्यादिशक्त्यौघवृता स्निग्धौदनप्रिया ।
महावीरॆंद्रवरदाराकिण्यंबास्वरूपिणी ॥ 101 ॥
मणिपूराब्जनिलया वदनत्रयसंयुता ।
वज्रादिकायुधॊपॆता डामर्यादिभिरावृता ॥ 102 ॥
रक्तवर्णा मांसनिष्ठा गूढान्नप्रीतमानसा ।
समस्तभक्तसुखदा लाकिन्यंबास्वरूपिणी ॥ 103 ॥
स्वाधिष्ठानांबुजगता चतुर्वक्त्रमनॊहरा ।
शूलाध्यायुधसंपन्ना पीतवर्णातिगर्विता ॥ 104 ॥
मॆदॊनिष्ठा मधुप्रीता बंदिन्यादिसमन्विता ।
दध्यन्नासक्तहृदया काकिनीरूपधारिणी ॥ 105 ॥
मूलाधारांबुजारूढा पंचवक्त्राऽस्थिसंस्थिता ।
अंकुशादिप्रहरणा वरदादिनिषॆविता ॥ 106 ॥
मुद्गौदनासक्तचित्ता साकिन्यंबास्वरूपिणी ।
आज्ञाचक्राब्जनिलया शुक्लवर्णाषडानना ॥ 107 ॥
मज्जासंस्थाहंसवती मुख्यशक्तिसमन्विता ।
हरिद्रान्नैकरसिका हाकिनीरूपधारिणी ॥ 108 ॥
सहस्रदलपद्मस्था सर्ववर्णॊपशॊभिता ।
सर्वायुधदरा शुक्लसंस्थिता सर्वतॊमुखी ॥ 109 ॥
सर्वौदनप्रीतचित्ता याकिन्यंबा स्वरूपिणी ।
स्वाहा स्वधाऽमतिर्मॆधा श्रुति स्मृतिरनुत्तमा ॥ 110 ॥
पुण्यकीर्तिः पुण्यलभ्या पुण्यश्रवणकीर्तना ।
पुलॊमजार्जिता बंधमॊचनी बंधुरालका ॥ 111 ॥
विमर्शरूपिणी विद्या वियदादिजगत्प्रसूः ।
सर्वव्याधिप्रशमनि सर्वमृत्युनिवारिणी ॥ 112 ॥
अग्रगण्या चिंत्यरूपा कलिकल्मषनाशिनी ।
कात्यायिनी कालहंत्रि कमलाक्षनिषॆविता ॥ 113 ॥
तांबूलपूरितमुखी दाडिमी कुसुमप्रभा ।
मृगाक्षी मॊहिनी मुख्या मृडानी मित्र रूपिणी ॥ 114 ॥
नित्यतृप्ता भक्तनिधिर्नियंत्री निखिलॆश्वरी ।
मैत्र्यादिवासनालभ्या महाप्रळयसाक्षिणी ॥ 115 ॥
पराशक्तिः परानिष्ठा प्रज्ञानघनरूपिणी ।
माध्वीपानालसा मत्ता मातृकावर्णरूपिणी ॥ 116 ॥
महाकैलासनिलया मृणालमृदुदॊर्लता ।
महनीया दयामूर्तिर्महासाम्राज्यशालिनी ॥ 117 ॥
आत्मविद्या महाविद्या श्रीविद्या कामसॆविता ।
श्रीषॊडशाक्षरीविद्या श्रीकूटा कामकॊटिका ॥ 118 ॥
कटाक्षकिंकरीभूत कमलाकॊटिसॆविता ।
शिरःस्थिता चंद्रनिभा भालस्थॆंद्र धनुःप्रभा ॥ 119 ॥
हृदयस्थारविप्रख्या त्रिकॊणांतरदीपिका ।
दाक्षायिणी दैत्यहंत्री दक्षयज्ञनिनाशिनी ॥ 120 ॥
दरांदॊलितदीर्घाक्षी दरहासॊज्वलन्मुखी ।
गुरुमूर्तिर्गुणनिधिर्गॊमाता गुहजन्मभूः ॥ 121 ॥
दॆवॆशी दंडनीतिस्था दहराकाशरूपिणी ।
प्रतिपन्मुख्यराकांत तिथिमंडलपूजिता ॥ 122 ॥
कलात्मिका कलानाथा काव्यालापविनॊदिनी ।
सचामररमावाणी सव्यदक्षिणसॆविता ॥ 123 ॥
आदिशक्ति रमॆयात्मा परमा पावनाकृतिः ।
अनॆककॊटि ब्रह्मांडजननी दिव्यविग्रहा ॥ 124 ॥
क्लींकारी कॆवला गुह्या कैवल्यपददायिनी ।
त्रिपुरा त्रिजगद्वंद्या त्रिमूर्तिस्त्रिदशॆश्वरी ॥ 125 ॥
त्र्यक्षरी दिव्यगंधाड्या सिंधूरतिलकांचिता ।
उमा शैलॆंद्र तनया गौरीगंधर्वसॆविता ॥ 126 ॥
विश्वगर्भा स्वर्णगर्भाऽवरदा वागधीश्वरी ।
ध्यानगम्याऽपरिच्छॆद्या ज्ञानदा ज्ञानविग्रहा ॥ 127 ॥
सर्ववॆदांतसंवॆद्या सत्यानंदस्वरूपिणी ।
लॊपामुद्रार्चिता लीलाक्लुप्तब्रह्मांडमंडला ॥ 128 ॥
अदृश्या दृश्यरहिता विज्ञात्री वॆद्यवर्जिता ।
यॊगिनी यॊगदा यॊग्या यॊगानंदा युगंधरा ॥ 129 ॥
इच्छाशक्ति ज्ञानशक्ति क्रियाशक्ति स्वरूपिणी ।
सर्वाधारा सुप्रतिष्ठा सदसद्रूपधारिणी ॥ 130 ॥
अष्टमूर्तिरजाजैत्री लॊकयात्रा विधायिनि ।
ऎकाकिनी भूमरूपा निर्द्वैता द्वैतवर्जिता ॥ 131 ॥
अन्नदा वसुदा वृद्धा ब्रह्मात्मैक्य स्वरूपिणी ।
बृहती ब्राह्मणी ब्राह्मी ब्रह्मानंदा बलिप्रिया ॥ 132 ॥
भाषारूपा बृहत्सॆना भावाभावविवर्जिता ।
सुखाराध्या शुभकरी शॊभना सुलभागतिः ॥ 133 ॥
राजराजॆश्वरी राज्यदायिनी राज्यवल्लभा ।
राजत्कृपा राजपीठनिवॆशितनिजाश्रिता ॥ 134 ॥
राज्यलक्ष्मिः कॊशनाथा चतुरंगबलॆश्वरी ।
साम्राज्यदायिनी सत्यसंधा सागरमॆखरा ॥ 135 ॥
दीक्षिता दैत्यशमनी सर्वलॊकवशंकरी ।
सर्वार्थदात्री सावित्री सच्चिदानंदरूपिणी ॥ 136 ॥
दॆशकालापरिच्छिन्ना सर्वगा सर्वमॊहिनी ।
सरस्वती शास्त्रमयी गुहांबा गुह्यरूपिणी ॥ 137 ॥
सर्वॊपाधिविनिर्मुक्ता सदाशिव पतिव्रता ।
संप्रदायॆश्वरी साध्वी गुरुमंडलरूपिणी ॥ 138 ॥
कुलॊत्तीर्णा भगाराध्या माया मधुमती मही ।
गणांबा गुह्यकाराध्या कॊमलांगी गुरुप्रिया ॥ 139 ॥
स्वतंत्रा सर्वतंत्रॆशी दक्षिणामूर्तिरूपिणी ।
सनकादि समाराध्या शिवज्ञानप्रदायिनी ॥ 140 ॥
चित्कलानंदकलिका प्रॆमरूपा प्रियंकरी ।
नामापारायणप्रीता नंदिविद्या नटॆश्वरी ॥ 141 ॥
मिथ्याजगदधिष्ठाना मुक्तिदामुक्तिरूपिणी ।
लास्यप्रिया लयकरी लज्जारंभादिवंदिता ॥ 142 ॥
भवदावसुधावृष्ठिः पापारण्यदवानला ।
दौर्भाग्यतूलवातूला जराध्वांतरविप्रभा ॥ 143 ॥
भाग्याब्धिचंद्रिका भक्तचित्तकॆकिघनाघना ।
रॊगपर्वतदंभॊलिर्मृत्युदारुकुठारिका ॥ 144 ॥
महॆश्वरी महाकाळी महाग्रासा महाशना ।
अपर्णा चंडिका चंडमुंडासुरनिषूदिनी॥ 145 ॥
क्षराक्षरात्मिका सर्वलॊकॆशी विश्वधारिणी ।
त्रिवर्गदात्री सुभगा त्र्यंबका त्रिगुणात्मिका ॥ 146 ॥
स्वर्गापवर्गदा शुद्धा जपापुष्पनिभाकृतिः ।
ऒजॊवती द्युतिधरा यज्ञरूपा प्रियव्रता ॥ 147 ॥
दुराराध्या दुराधर्षा पाटली कुसुमप्रिया ।
महती मॆरुनिलया मंदारकुसुमप्रिया ॥ 148 ॥
वीराराध्या वीराड्रूपा विरजा विश्वतॊमुखी ।
प्रत्यग्रूपा पराकाशा प्राणदा प्राणरूपिणी ॥ 149 ॥
मार्तंडभैरवाराध्या मंत्रिणीन्यस्तराज्यधूः ।
त्रिपुरॆशी जयत्सॆना निस्त्रैगुण्या परापरा ॥ 150 ॥
सत्यज्ञानानंदरूपा सामरस्यपरायणा ।
कपर्दिनी कलामाला कामधुक् कामरूपिणी ॥ 151 ॥
कलानिधिः काव्यकला रसज्ञा रसशॆवधिः ।
पुष्पा पुरातना पूज्या पुष्करा पुष्करॆक्षणा ॥ 152 ॥
परंज्यॊतिःपरंधाम मरमाणुःपरात्परा ।
पाशहस्तापाशहंत्री परमंत्र विभॆदिनी ॥ 153 ॥
मूर्ताऽमूर्ताऽनित्यतृप्ता मुनिमानसहंसिका ।
सत्यव्रता सत्यरूपा सर्वांतर्यामिनीसती ॥ 154 ॥
ब्रह्माणी ब्रह्मजननी बहुरूपा बुधार्चिता ।
प्रसवित्री प्रचंडाज्ञा प्रतिष्ठा प्रकटाकृतिः ॥ 155 ॥
प्राणॆश्वरी प्राणदात्री पंचाशत्पीठरूपिणी ।
विशृंखला विविक्तस्था वीरमातावियत्प्रसूः ॥ 156 ॥
मुकुंदा मुक्तिनिलया मूलविग्रहरूपिणी ।
भावज्ञा भवरॊगघ्नी भवचक्र प्रवर्तिनी ॥ 157 ॥
छंदःसारा शास्त्रसारा मंत्रसारा तलॊदरी ।
उदारकीर्तिरुद्धाम वैभवावर्णरूपिणी ॥ 158 ॥
जन्ममृत्यु जरातप्त जनविश्रांतिदायिनी ।
सर्वॊपनिषदुद्वुष्टा शांत्यतीतकलात्मिका ॥ 159 ॥
गंभीरा गगनांतस्था गर्विता गानलॊलुपा ।
कल्पनारहिता काष्ठाऽकांता कांतार्धविग्रहा ॥ 160 ॥
कार्यकारणनिर्मुक्ता कामकॆलितरंगिता ।
कनत्कनकताटंका लीलाविग्रहधारिणी ॥ 161 ॥
अजा क्षयविनिर्मुक्ता मुग्धा क्षिप्रप्रसादिनी ।
अंतर्मुखसमाराध्या बहिर्मुखसुदुर्लभा ॥ 162 ॥
त्रयी त्रिवर्गनिलया त्रिस्था त्रिपुरमालिनी ।
निरामया निरालंबा स्वात्मारामा सुधासृतिः ॥ 163 ॥
संसारपंकनिर्मग्न समुद्धरणपंडिता ।
यज्ञप्रिया यज्ञकर्त्री यजमानस्वरूपिणी ॥ 164 ॥
धर्माधारा धनाध्यक्षा धनधान्यविवर्धिनी ।
विप्रप्रिया विप्ररूपा विश्वभ्रमणकारिणी ॥ 165 ॥
विश्वग्रासा विद्रुमाभा वैष्णवी विष्णुरूपिणी ।
अयॊनिर्यॊनि निलया कूटस्था कुलरूपिणी ॥ 166 ॥
वीरगॊष्ठीप्रिया वीरा नैष्कर्म्यानादरूपिणी ।
विज्ञानकलना कल्या विदग्धाबैंदवासना ॥ 167 ॥
तत्त्वाधिका तत्त्वमयी तत्त्वमर्थस्वरूपिणी ।
सामगानप्रियास्ॐया सदाशिवकुटुंबिनी ॥ 168 ॥
(Lalita Sahasranama Stotram)
सव्यापसव्यमार्गस्था सर्वापद्विनिवारिणी ।
स्वस्थास्वभावमधुरा धीरा धीरसमर्चिता ॥ 169 ॥
चैतन्यार्घ्य समाराध्या चैतन्यकुसुमप्रिया ।
सदॊदिता सदातुष्टा तरुणादित्यपाटला ॥ 170 ॥
दक्षिणादक्षिणाराध्या दरस्मॆरमुखांबुजा ।
कौलिनी कॆवलाऽनर्घ्या कैवल्यपददायिनी ॥ 171 ॥
स्तॊत्रप्रिया स्तुतिमती श्रुति संस्तुतवैभवा ।
मनस्विनी मानवती महॆशी मंगलाकृतिः ॥ 172 ॥
विश्वमाता जगद्धात्री विशालाक्षी विरागिणी ।
प्रगल्भा परमॊदारा परामॊदा मनॊमयी ॥ 173 ॥
म्यॊमकॆशी विमानस्था वज्रिणी वामकॆश्वरी ।
पंचयज्ञप्रिया पंचप्रॆतमंचाधिशायिनी ॥ 174 ॥
पंचमी पंचभूतॆशी पंचसंख्यॊपचारिणीः ।
शाश्वती शाश्वतैश्वर्या शर्मदा शंभुमॊहिनी ॥ 175 ॥
धरा धरसुता धन्या धर्मिणी धर्मवर्धिनी ।
लॊकातीता गुणातीता सर्वातीता शमात्मिका ॥ 176 ॥
बंधूककुसुमप्रख्या बाला लीलाविनॊदिनी ।
सुमंगली सुखकरी सुवॆषाढ्या सुवासिनी ॥ 177 ॥
सुवासिन्यर्चनप्रीता शॊभना शुद्धमानसा ।
बिंदुतर्पणसंतुष्ठा पूर्वजा त्रिपुरांबिका ॥ 178 ॥
दशमुद्रा समाराध्या त्रिपुराश्रीवशंकरी ।
ज्ञानमुद्रा ज्ञानगम्या ज्ञानज्ञॆय स्वरूपिणी ॥ 179 ॥
यॊनिमुद्रा त्रिखंडॆशी त्रिगुणाऽंबा त्रिकॊणगा ।
अनघाऽद्भुतचारित्रा वांछितार्थप्रदायिनी ॥ 180 ॥
अभ्यासातिशयज्ञाता षडध्वातीतरूपिणी ।
आव्याजकरुणामूर्तिरज्ञानध्वांत दीपिका ॥ 181 ॥
आबालगॊपविदिता सर्वानुल्लंघ्यशासना ।
श्रीचक्र राजनिलया श्रीमत्त्रिपुरसुंदरी ॥ 182 ॥
श्रीशिवा शिवशक्त्यैक्यरूपिणी ललितांबिका ।
ऎवं श्रीललितादॆव्याः नाम्नां साहस्रकं जगुः ॥ 183 ॥
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॥ इती श्री ललितासहस्रनाम स्तॊत्रम् संपूर्णम् ॥