Shri Ganesh Stotra Lyrics in Hindi
श्री गणेश स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित
श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र (Shri Ganesh Stotra) संकटो का नाश करता है। श्री गणेश स्तोत्र (Shri Ganesh Stotra) के बारे में नारद मुनि ने नारद पुराण में बताया है। कैसे विघ्नहर्ता गणेश अपने भक्तो के विघ्नो को हर लेते है। इस लिए यह स्तोत्र को संकटनाशन स्तोत्र कहते हे। इस स्तोत्र का जप करने से भगवान गणेश अति प्रसन्न होते हे।
श्री गणेश स्तोत्र संकट को हर लेने वाला स्तोत्र गणपति स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है। श्री गणेश स्तोत्र में 8 श्लोक अनुष्टुप् छन्द पर आधारित दिये गए है। यह आठ श्लोक में भगवान श्री गणेश के 12 नाम और माहात्म्य का वर्णन है। नारद पुराण के अनुसार स्वयं देवर्षि नारदजी द्वारा कहा गया श्री गणेश स्तोत्र बहोत सरल और प्रभावशाली माना गया है।
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श्री गणेश स्तोत्र में भगवान् गणपतिजी के बारह नाम जो निम्नलिखित है।
1) वक्रतुण्ड
2) एकदन्त
3) कृष्णपिंगाक्ष
4) गजवक्त्र
5) लम्बोदर
6) विकट
7) विघ्नराजेन्द्र
8) धूम्रवर्णं
9) भालचन्द्र
10) विनायक
11) गणपति
12) गजानन
श्री गणेश स्तोत्र (Shri Ganesh Stotra) का पाठ करने से भगवान गणेश सभी संकट का नाश कर देते है। इसलिए गणपति स्त्रोत्र को संकटनाशन स्तोत्रम् भी कहते है। श्री गणेश स्तोत्र का पाठ नियमित करने से गणेशजी हर कामना तुरंत पूर्ण कर देते है।
हिन्दू पंचाग के अनुसार बुधवार का दिन भगवान श्री गणेश को समर्पित है, और गणपति पूजा का विधान है। भगवान श्री गणेश की कृपा बनाने के लिए नियमित रूप से श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करे।
नारद पुराण में वर्णित श्री गणेश स्तोत्र
नारद उवाच
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्ता वासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये ॥१ ॥
अर्थ :
पार्वतीनन्दन देवदेव श्री गणेशजी को सिर झुकाकर प्रणाम करके अपनी आयु, कामना और अर्थ की सिद्धि के लिये उन भक्तनिवास का नित्यप्रति स्मरण करे।
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥२॥
अर्थ :
पहला वक्रतुण्ड (टेढे़ मुखवाले), दूसरा एकदन्त (एक दाँतवाले), तीसरा कृष्ण पिंगाक्ष (काली और भूरी आँखोंवाले), चौथा गजवक्त्र (हाथी जैसे मुखवाले) है।
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥३॥
अर्थ :
पाँचवाँ लम्बोदर बड़े पेटवाले, छठा विकट विकराल, सातवाँ विघ्न राजेन्द्र विघ्नों पर शासन करनेवाले राजाधिराज तथा आठवाँ धूम्रवर्ण धूसर अर्थात् धुएँ जैसे वर्णवाले भगवान गणेश।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥४॥
अर्थ :
नौवाँ भालचन्द्र जिनके ललाट पर चन्द्रमा सुशोभित है, दसवाँ विनायक नेतृत्व करनेवाले, ग्यारहवाँ गणपति भक्तगणों के स्वामी और बारहवाँ गजानन हाथी जैसे मुखवाले श्री गणेश।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ॥५॥
अर्थ :
श्री गणेश यह बारह नाम का जो पुरुष सुबह, दोपहर और सायंकाल में पाठ करता है, हे, उसे विघ्न का भय नहीं रहता। इस प्रकार का स्मरण हर प्रकार की सिद्धियाँ देनेवाला श्री गणेश है।
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विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥६॥
अर्थ :
श्री गणेश स्तोत्र पाठ से विद्यार्थी को विद्या, धन की इच्छा रखनेवाला को धन, पुत्र की कामना रखनेवाला को पुत्र तथा मुक्ति की इच्छावाला मोक्ष प्राप्त होता है।
जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिमासैः फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥७ ॥
अर्थ :
श्री गणेश स्तोत्र का जप करें तो छ: मास में इच्छित फल की प्राप्ति होती जाती है, और एक वर्ष में पूर्ण सिद्धि को प्राप्त होता है, इसमें किसी प्रकार का सन्देह नहीं है।
अष्टाभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥८ ॥
अर्थ :
कोई मनुष्य श्री गणेश स्तोत्र को लिखकर आठ ब्राह्मणों को अर्पित करता देता है, भगवान गणेशजी की कृपा से उसे हर प्रकार की विद्या प्राप्त होती है।
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
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Shri Ganesh Stotra Lyrics in English
Pranamya shirasa devam Gauri putram Vinayakam ।
Bhakthavasam smaretrityamayuh kama artha sidhaye ॥1॥
Meaning :
By bowing your head to Parvatinandan Devdev Shri Ganeshji, remember that devotee’s abode daily for the achievement of your age, wishes and wealth.
Prathamam Vakratundam cha, Ekadantam dwitiyakam ।
Tritiyam Krushna Pingaksham, Gajavaktram Chaturthakam ॥2॥
Meaning :
First Vakratunda (with crooked face), second Ekadanta (one tooth), third Krishna Pingaksha (black and brown eyes), fourth Gajvaktra (elephant like face).
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Lambodaram Panchamam cha, Sashtam Vikatamev cha ।
Saptamam Vignarajam cha, Dhoomravarnam tathashtamam ॥3॥
Meaning :
The fifth Lambodar with a big belly, the sixth Vikt Vikarl, the seventh obstacle Rajendra, Rajadhiraj, who rules over obstacles and the eighth smoke-colored Lord Ganesha.
Navamam Bhalchandram cha, Dashamam tu Vinayakam ।
Ekadasham Ganapatim, Dwadasham tu Gajananam ॥4॥
Meaning :
Ninth Bhalchandra whose forehead is adorned with the moon, tenth Vinayaka the leader, eleventh Ganapati the lord of the devotees and twelfth Gajanan elephant-faced Shri Ganesha.
Dwadasaithani namani, Trisandhyam yah pathenara ।
Na cha vighna bhayam tasya, Sarvsiddhi karam param ॥5॥
Meaning :
Shri Ganesh, the person who recites these twelve names in the morning, afternoon and evening, he does not have the fear of obstacles. This type of remembrance is Shri Ganesh who gives all kinds of achievements.
Vidhyarthi labhate Vidhyam, Danarthi labhate Dhanam ।
Putrarthi labhate Putran, Moksharthi labhate Gateem ॥6॥
Meaning :
By reciting Shri Ganesh Stotra, a student gets knowledge, one who desires wealth gets wealth, one who desires a son gets a son and one who desires liberation gets salvation.
Japet Ganapati stotram, Shadbhirmasai phalam labheth ।
Samvatsarena sidhim cha, Labhate natra sanshaya ॥7॥
Meaning :
If one chants Shri Ganesh Stotra, the desired fruit is attained in six months, and complete accomplishment is attained in one year, there is no doubt about it.
Ashtabhyo Brahmoyashr Likihitwa yh samarpayet ।
Tasya Vidhya bhavetsarva Ganeshasya Prasadatah ॥8॥
Meaning :
A person writes Shri Ganesh Stotra and offers it to eight Brahmins, by the grace of Lord Ganesha, he gets all kinds of knowledge.
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॥ Iti Shri Narad Purane Sankat nashanam Ganesha Stotram Sampurnam ॥
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