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Shravan Maas Me Shiv Ke Priy Bilva Patra

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Shravan Maas Me Shiv Ke Priy Bilva Patra

शिव के प्रिय बिल्व पत्र तोड़ने का क्या हे मंत्र, जानिए बिल्व पत्र चढाने का शुभ फल

पुराणों के अनुसार श्रावण मास (Shravan Maas) में भगवान शिवजी की पूजा में अभिषेक और बिल्वपत्र का अधिक महत्व है। शिव पुराण के अनुसार भगवन शिवजी को बिल्व पत्र अति प्रिय है। एक बिल्व पत्र भगवन शिव (शिवलिंग ) पर चढाने से कन्यादान के फल सामान एक बिल्वपत्र होता है। श्रावण मास (Shravan Maas) में भगवान शिवजी की पूजा, उपासना करने के कई स्त्रोत्र हे, परंतु सबसे प्रभावशाली स्तोत्र बिल्वाष्टकम् है। जो श्रावण मास में शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाते समय बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, भगवान अति प्रसन्न होते है।

 

अभिषेक :-

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अभिषेक करने से हर मनोकामना पूरी होती है। भगवान शिवजी का प्रिय अभिषेक कई द्रव्यों से कर सकते है। जैसे की शुद्ध जल, गन्ने का रस, गाय का दूध, दही, इत्र, शक्कर मिश्रित दूध या जल, शहद, गाय का शुद्ध घी और तीर्थो का जल इन सभी द्रव्यों से आप शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति पर अभिषेक कर सकते है। अभिषेक करते हुए भगवान का मंत्र ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जप करते रहना चाहिए।

 

बिल्व पत्र:-

हम भगवान शिव पर जो बिल्व पत्र चढ़ाते है उस बिल्व पत्र के वृक्ष की जड़ो में लक्ष्मीजी का वास है। इसलिए प्रति दिन बिल्व पत्र शिवजी को अर्पित करने से हमारे घर में लक्ष्मीजी का वास रहता है।

 

बिल्वपत्र तोड़ ने का मंत्र :-

बिल्वपत्र कब और कैसे तोडा जाये यह सब लिंग पुराण और शिव पुराण में बताया गया हे। बिल्वपत्र का महत्त्व प्राचीन रावण संहिता भी उल्लेख मिलता है।
लिंग पुराण के अनुसार बिल्वपत्र को कुछ तिथि और काल में नहीं तोड़ने चाहिए। जैसे की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति काल और सोमवार को कभी नहीं ताड़े जाते है। बिल्वपत्र तोड़ ने का मंत्र निम्नलिखित है।

‘अमृतोद्भव श्री वृक्ष महादेवत्रिय सदा।
गृहणामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्।।’

भगवान शिव के प्रिय बिल्वपत्र तोड़ने से पहले यह मंत्र बोलकर ही बिल्वपत्र तोड़ने चाहिए। क्योकि बिल्वपत्र तोड़ने से पहले बिल्व वृक्ष से हमें परवानगी लेनी पड़ती है।

 

शिव लिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने के नियम :-

भगवान शिव की पूजा में जो द्रव्यों, फूल, पूजा सामग्री आदि में सबसे अधिक भगवान शिव को बिल्वपत्र प्रिय है। शिवजी की पूजा में बिल्वपत्र का स्थान सर्वप्रथम माना गया है। भगवान शिव पर बिल्वपत्र चढाने से पहले इसके कुछ नियम का ध्यान रखना होता है।

भगवान शिव त्रिनेत्र धारी हे, जो सत्व, रज , तम का प्रतिक माने जाता है। तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र निम्नलिखित मंत्र बोलकर चढाने से जन्मो जन्म के पापो से मुक्ति मिल जाती है।

 

॥ बिल्वाष्टकम् स्तोत्र ॥

 

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्
त्रिजन्मपाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

अखण्ड बिल्व पात्रेण पूजिते नन्दिकेश्र्वरे
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

शालिग्राम शिलामेकां विप्राणां जातु चार्पयेत्
सोमयज्ञ महापुण्यं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

दन्तिकोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च
कोटि कन्या महादानं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

लक्ष्म्या स्तनुत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्
अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम्
प्रयागमाधवं दृष्ट्वा एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे
अग्रतः शिवरूपाय एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

यहां एक क्लिक में पढ़ें- “शिव तांडव स्तोत्र”

 

श्रावण मास (Shravan Maas) में भगवान शिवजी की पूजा करते समय यह मंत्र बोलकर बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढाने चाहिए।

बिल्वपत्र के वृक्ष में तीन पत्ते वाले ही बिल्वपत्र मिलते हे। चार पत्ते या पांच पत्ते कभी कभी ही मिल जाते है। बिल्वपत्र में तीन से ज्यादा पत्ते वाले बिल्वपत्र शिवजी पर चढाना बहोत ही शुभ माना जाता है। दो पत्ते वाले बिल्वपत्र शिवजी पर कभी नहीं चढाने चाहिए, वह खंडित माना जाता है। कम से कम तीन पत्ते वाले बिल्वपत्र ही शिवलिंग या शिवजी की मूर्ति पर चढ़ाया जाता है। बिल्वपत्र की डंडी की गांठ को हमेशा तोड़ कर ही शिवलिंग पर चढ़या जाता है।

शास्त्रों के अनुसार कटा-फटा बिल्वपत्र कभी शिवजी की पूजा में उपयोग नहीं करना चाहिए। शिवलिंग या शिवजी की मूर्ति पर बिल्वपत्र चढ़ाने से पहले जलाभिषेक जरूर करना चाहिए। बिल्वपत्र चढ़ाते समय यह ध्यान रखे की बिल्वपत्र का चिकना भाग ही शिवलिंग पर पहले रखना चाहिए।

स्कन्द पुराण के अनुसार बिल्वपत्र को सुद्ध जल से धोकर दोबारा शिवलिंग पर चढ़ा सकते है। यह कभी भी असुद्ध नहीं होता है और नहीं बसी होता है।

अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।
शंकरार्यर्पणियानि न नवानि यदि क्वाचित।।

 

बिल्वपत्र से शिव पूजा का फल :-

शास्त्रों के अनुसार शिवजी की पूजा श्रावण मास, शिवरात्रि, प्रदोष, ज्योर्तिर्लिंग की पूजा करने से अनंत गुना फल प्राप्त होता है। कही भी शिव पूजन में बिल्वपत्र से पूजा करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते है। श्रावण मास में बिल्वपत्र पर चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करे तो इसके फलस्वरूप हमारी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

पुराणों के अनुसार शिवलिंग पर एक आक का फूल चढाने से जो फल मिलता हे, वह दस स्वर्ण मुद्रा के दान करने के समान होता है। शिवजी को एक कनेर का फूल अर्पित करने से एक हजार आक के फूल चढाने समान फल मिलता है। और एक बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढाने से एक हजार कनेर के फूल चढाने के फल स्वरुप होता है। इसलिए हर दिन सुबह भगवान शिवजी को बिल्वपत्र चढ़ाना चाहिए।

बिल्व वृक्ष के दर्शन मात्र से आपके कई प्रकार के पापो का नाश हो जाता है। अगर आपके घर के आंगन में बिल्व वृक्ष हे तो आपका घर, आंगन तीर्थ के समान है।

श्रावण मास (Shravan Maas) शिव की उपासना करने का महीना है। श्रावण मास में शिवजी की बिल्वपत्र से पूजा करने वाले हर शिव भक्तो को परमात्मा और आत्मा से समंध रखने की शक्ति प्राप्त होती है।

 

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Shiva’s beloved Bilva Patra in the month of Shravan

What is the mantra for breaking Shiva’s beloved Bilva Patra, know the auspicious result of offering Bilva Patra

According to the Puranas, in the month of Shravan (Shravan Maas) Abhishek and Bilvapatra have more importance in the worship of Lord Shiva. According to Shiv Purana, Bilva Patra is very dear to Lord Shiva. Offering a bilva leaf to Lord Shiva (Shivling) results in a bilva leaf like the fruit of a daughter’s donation. There are many sources to worship Lord Shiva in the month of Shravan, but the most influential stotra is Bilvashtakam. One who should recite Bilvastakam Stotra while offering Bilva leaves on Shivling in the month of Shravan, God is very pleased.

 

Coronation:-

According to Shiva Purana, every wish is fulfilled by performing Abhishek on Lord Shiva. Lord Shiva’s beloved Abhishek can be done with many substances. For example, pure water, sugarcane juice, cow’s milk, curd, perfume, sugar mixed milk or water, honey, pure cow’s ghee, and pilgrimage water, you can anoint Shivling or Lord Shiva’s idol with all these substances. While doing the Abhishek, chant the mantra of God Om Namah Shivaya or Mahamrityunjaya Mantra.

 

Bilvapatra:-

Laxmiji resides in the roots of the Bilva Patra tree that we offer to Lord Shiva. Therefore, by providing Bilva leaves to Shiva daily, Lakshmi resides in our house.

 

Mantra to break Bilva leaves:-

When and how to break the bilvapatra, all this has been told in Linga Purana and Shiva Purana. The importance of Bilva leaves is also mentioned in the ancient Ravan Samhita.

According to Linga Purana, Bilva leaves should not be broken on specific dates and times. Such as Chaturthi, Ashtami, Navami, Chaturdashi, Amavasya, Sankranti period, and Mondays are never broken. The following is the mantra to break bilvapatra.

‘Amritodbhav Shri Vriksha Mahadevatriya always.
Grihnami Tava Patrani Shivpujarthamadrat.

Before breaking Lord Shiva’s beloved bilvapatra, one should break the bilvapatra by chanting this mantra. Because before plucking the bilva leaves, we have to take permission from the bilva tree.

 

Rules for offering Bilva leaves on Shiva Linga:-

In the worship of Lord Shiva, which is most dear to Lord Shiva in materials, flowers, worship materials, etc. The place of Bilva leaves is considered first in the worship of Shiva. Before offering Bilva leaves to Lord Shiva, some rules have to be kept in mind.(Shravan Maas)

Lord Shiva is the trinity, which is considered a symbol of sattva, rajas, and tamas. Offering three-leaf bilvapatra by reciting the following mantra, one gets freedom from the sins of birth.

 

Bilvashtakam Strotra

 

Tridalam Trigunakaram Trinetram Cha Triyudham
Trijanmapaap anamharaam ek bilvam shivarpanam.

Akhand Bilva Patren Poojate Nandikeshvare
Shudhyanti sarvapapebhyo ek bilvam shivarpanam.

Shaligram Shilamekan Vipranam Jatu Charpayet
Somaygya Mahapunyam Ek Bilvam Shivarpanam.

Dantikoti Sahasrani Vajpayee Shatani Cha
Koti Kanya Mahadanam Ek Bilvam Shivarpanam.

lakshmya breastsut uttanam mahadevasya cha priyam
Bilvavriksham prayachami ek bilvam shivarpanam.

Darshanam bilvavriksya sparshanam papanashanam
Aghorpapasamharam ek bilvam shivarpanam.

Kashikshetra Niwasam Cha Kalabhairav ​​Darshanam
Prayagamadhavam drishtva ek bilvam shivarpanam.

Originally Brahmarupaya Madhyato Vishnuroupine
Agrahat Shivaroopay Ek Bilvam Shivarpanam.

While worshiping Lord Shiva in the month of Shravan, after chanting this mantra, Bilva leaves should be offered on Shivling.

In the tree of bilvapatra, only bilva leaves with three leaves are found. Sometimes four leaves or five leaves are found. Offering bilvapatra to Shiva with more than three leaves is considered very auspicious. Bilva leaves with two leaves should never be offered to Shiva, it is considered to be broken. Only Bilva leaves with at least three leaves are offered on the Shivling or the idol of Shiva. The knot of the stick of the bilvapatra is always broken and offered to the Shivling.

According to the scriptures, chopped bilva leaves should never be used in the worship of Shiva. Jalabhishek must be done before offering Bilva leaves on Shivling or Shiva’s idol. While offering Bilvapatra, keep in mind that only the smooth part of the Bilvapatra should be placed on the Shivling first.

According to Skanda Purana, after washing the bilvapatra with pure water, it can be offered again on the Shivling. It is never impure and never settled.

Arpitanayapi Bilvani Prakshalyapi again again.
Sankararyarpaniyani na Navani if ​​quachit..

 

Fruits of Shiva worship with Bilva leaves:-

According to the scriptures, worshiping Lord Shiva in the month of Shravan, Shivaratri, Pradosh, and Jyotirlinga give infinite fold results. Lord Shiva is very pleased by worshiping with Bilva leaves anywhere in Shiva worship. In the month of Shravan, by writing ‘Om Namah Shivaya’ with sandalwood on Bilva leaves and offering it on Shivling, then all our wishes are fulfilled as a result.

According to the Puranas, the fruit obtained by offering one Aak flower on Shivling is equivalent to donating ten gold coins. Offering one Kaner flower to Lord Shiva gives the same result as offering one thousand Aak flowers. And by offering one bilvapatra on a Shivling, it is the result of offering one thousand Kaner flowers. Therefore, every day in the morning, Bilva leaves should be offered to Lord Shiva.

The mere sight of the Bilva tree destroys many of your sins. If there is a Bilva tree in the courtyard of your house, then your house, the courtyard is like a pilgrimage.

Shravan month (Shravan Maas) is the month to worship Shiva. Every Shiva devotee who worships Shiva with bilva leaves in the month of Shravan gets the power to have a relationship with God and soul.

 

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