Shiv Chalisa with Meaning in Hindi/English
शिव चालीसा (shiv chalisa) हिंदू धर्म में भगवान शिव के महत्वपूर्ण मंत्रों में से एक है। यह चालीसा भगवान शिव की महिमा, गुण, और भक्ति को व्यक्त करती है। इसमें चालीस श्लोक होते हैं, जो भगवान शिव के विभिन्न नामों और उनकी महिमा का वर्णन करते हैं।
शिव चालीसा का पाठ करने से भक्त को मन की शांति, सुख, और समृद्धि मिलती है। इसके अलावा, यह चालीसा भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करती है और उनके आशीर्वाद से जीवन के समस्याओं का समाधान मिलता है।
शिव चालीसा (shiv chalisa) को रोजाना पाठ करने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और जीवन में शुभ फल मिलते हैं। इसे पाठ करने से भक्त की मनोदशा भी उत्तम होती है। शिव चालीसा का पाठ करने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे पाठ करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है और उन्हें शांति मिलती है।
शिव चालीसा के श्लोकों का अर्थ समझने से भक्त को भगवान शिव की महिमा का गहन ज्ञान होता है। इसके अलावा, इसे जाप करने से व्यक्ति के मन की अस्तित्व की भावना को दृढ़ किया जा सकता है।
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शिव चालीसा का महत्व:
शिव चालीसा (shiv chalisa) का सनातन हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रहा है। भगवान शिव शंकर इस सृष्टि के संहारक देवता है। भक्तों का एक मात्र उद्देश्य देवाधि देव महादेव का आशीर्वाद पाना और उन्हें प्रसन्न करना होता है। वेदो और पुराणों में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए “शिव चालीसा” (Shiv Chalisa) के बारे में कहा गया है। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा बहुत ही प्रभावशाली उपाय है।
शिव चालीसा का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। शिव पुराण के अनुसार शिव चालीसा का पाठ कोई भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है, और सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है।
शिव चालीसा (shiv chalisa) की पाठ विधि:
शिव चालीसा की पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- सबसे पहले ध्यान लगाएं कि आप एक शांतिपूर्ण जगह पर बैठे और आपका मन शुद्ध हो और शिव को अपने सामने उपस्थित मानें।
- शिव चालीसा को पढ़ने से पहले शिव जी की पूजा में धूप, दीप, सफेद चंदन, माला और सफेद पुष्प रखें।, और मन को शुद्ध करने के लिए ध्यान लगाएं।
- शिव चालीसा को नियमित रूप से एक ही समय में पढ़ा जाना चाहिए। यह चालीसा सुबह और शाम दोनों समय पढ़ी जा सकती है।
- शिव चालीसा को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें। शिव जी के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनसे विनती करें।
- शिव चालीसा को पढ़ने के बाद, भगवान शिव को फूल, दीपक और नैवेद्य समेत पूजें और उनकी कृपा के लिए धन्यवाद अर्पित करें।
यह थी शिव चालीसा का पाठ करने की विधि। इसे नियमित रूप से पढ़ने से भगवान शिवशंकर सदैव प्रसन्न रहगे और आपके जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।
शिव चालीसा पाठ के लाभ:
शिव चालीसा (shiv chalisa) का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ होते हैं। नीचे कुछ महत्वपूर्ण लाभ बताए गए हैं:
- मानसिक शांति: शिव चालीसा का पाठ करने से मन की शांति होती है और मन में सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती हैं।
- भय और अंधविश्वास को दूर करना: शिव चालीसा के पाठ से व्यक्ति का भय और अंधविश्वास दूर होता है और उन्हें नई ऊर्जा का एहसास होता है।
- समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति: शिव चालीसा का पाठ करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और व्यक्ति अपने लक्ष्य की ओर अधिक सक्रिय होता है।
- रोग निवारण: शिव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के शरीर और मन दोनों के रोग निवारण होते हैं।
- उत्तम बुद्धि: शिव चालीसा के पाठ से व्यक्ति की बुद्धि में सुधार होता है और उन्हें समस्याओं का समाधान निकालने में आसानी होती है।
- धन समृद्धि: शिव चालीसा के पाठ से धन समृद्धि होती है और व्यक्ति को अधिक धन संपादने में मदद मिलती है।
श्री शिव चालीसा पाठ हिंदी में अर्थ सहित ॥ Shiv Chalisa in Hindi
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
अर्थ:
हे गिरिजा पुत्र श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हो, विद्वता के दाता हो,
अयोध्यादास प्रार्थना करते है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय नष्ट हो जांए।
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
अर्थ:
हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया करने वाले भगवान आशुतोष आपकी जय हो,
आप निरंतर संतो के रक्षक रहे हैं।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अर्थ:
हे महादेव आपके मस्तक पर अर्ध चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में
नागफनी के कुंडल शोभायमान् हैं।
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
अर्थ:
हे भगवान शिव आपका रंग गौर वर्ण का है, आपकी जटाओं से गंगाजी बहती है,
आपके गले में मुंडमाल है, और शरीर पर भस्म है।
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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
अर्थ:
आपके तन पर बाघ की खाल के वस्त्र भी हैं। आपकी छविसुंदरता को देख कर नाग
भी प्रभावित होते हैं।
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
अर्थ:
मैनावंती की लाड़ली अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी शोभा भी
अलग से मन को प्रसन्नमय करती है।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
अर्थ:
हे शिव शंकर आपके हाथों में त्रिशूल आपकी सुंदरता को और भी मोहित
करनेवाला है, आपने सर्वदा शत्रुओं का विनाश किया है।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
अर्थ:
हे महादेव आपके सान्निध्य में नंदी और गणेश इतने सुन्दर लगते हे, जैसे सागर
के बीच खिले कमल के समान दिखाई पड़ते हैं।
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥
अर्थ:
कार्तिकेय व अन्य गणों के विद्यमानता से आपकी सुंदरता बढ़ जाती हे, जिसका
गुण कथन कोई कर नहीं सकता।
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
अर्थ:
हे भगवन शिव, देवी-देवताओं ने जब भी आप का स्मरण किया है, अपने तुरंत ही
उनके संकट का निवारण किया है।
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
अर्थ:
ताड़कासुर जैसे राक्षस के तरह-तरह के उपद्रव से परेशान देवतागण ने जब
आपकी शरण ली, रक्षा के लिए पुकार लगाई।
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
अर्थ:
हे शिव शंकर देवताओें की प्रार्थना से आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए
स्वामी कार्तिकेय को भेजा और आपकी दी हुयी शक्ति से राक्षस वध किया।
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
अर्थ:
आपने ही जलंधर नामक भयंकर असुर का संहार किया। उससे आपका जो
कल्याणकारी यश फैला वह पूरा संसार जानता है।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
अर्थ:
हे शिव शंकर आपने त्रिपुरसुर नामक भयंकर राक्षस से युद्ध करके उनका संहार
किया सभी देवताओं पर कृपा की और उनको बचा लिया।
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
अर्थ:
हे भोलेनाथ गंगाजी को पृथ्वी पर लाने के लिए भगीरथ के महान तप किया तब आपने
प्रसन्न हो कर अपनी जटाओं से गंगा की धारा को छोड़कर उनकी प्रतिज्ञा पूरी की थी।
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
अर्थ:
हे प्रभू इस संसार के सभी दानियों में आपके समान बड़ा दानी कोई नहीं है, भक्त
आपकी सदा से वन्दना करते आए हैं।
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
अर्थ:
हे प्रभु आपका अनादि होने का भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं
किया जा सकता है, आप अकथ हैं। वेदों में भी आपके नाम की महिमा गाई गई है।
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
अर्थ:
हे प्रभु जब क्षीर सागर समुद्र का मंथन हो रहा था तब मंथन में विष से भरा घड़ा
निकला तो समस्त देवतागण और दानव भय से व्याकुल हो उठे।
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कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
अर्थ:
हे प्रभु आपने ही उनकी सहायता के लिए विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे
आपको “नीलकंठ“ कहा जाने लगा।
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
अर्थ:
हे शिव शंकर आपकी पूजा करके ही श्री रामचंद्र ने आपकी कृपा से ही उन्होंने
लंका पर विजय प्राप्त की लंका को जीत कर उसे विभीषण को
लंका का राजा बना दिया।
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
अर्थ:
जब श्री राम सहस्त्र कमलों द्वारा मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल
अर्पण कर रहे थे, तो हे भोलेनाथ! अपनी माया के प्रभाव से उनकी परीक्षा ली।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
अर्थ:
जब मां ने एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन
भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
अर्थ:
श्री राम की ऐसी कठिन भक्ति देखकर आप प्रसन्न हुए और उन्हें मनवांछित वर
प्रदान किया।
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
अर्थ:
हे अनंत अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में
वास करने वाले भोलेनाथ, आपकी जय हो।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
अर्थ:
हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें
मुझे भ्रम में डाल दिया है, इसलिए मुझे क्षणमात्र भी चैन नहीं मिलता।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
अर्थ:
हे स्वामी! बस मैं इन चीजों से ही तंग होकर आपकी शरण में आया हूं। इस संकट के
समय आप ही मेरा उद्धार कर सकते हैं।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
अर्थ:
अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश करें और मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
अर्थ:
माता-पिता और भाई इत्यादि सम्बन्धी सब सुख में ही साथी होते हैं, लेकिन संकट
पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता।
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥
अर्थ:
हे संसार के स्वामी! आप ही ऐसे हैं जिस पर मुझे उम्मीद लगी है। आप ही शीघ्र आकर
मेरे इस घोर संकट को हर लो।
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अर्थ:
आपने सदा निर्धन को धन दिया है उनकी सहायता करते हैं। जो कोई मनुष्य आपकी
जैसी भक्ति करता है वैसा ही फल उसे प्राप्त करता है।
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
अर्थ:
हम अज्ञानी आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें है प्रभु, अगर
आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे भोलेनाथ, हमें माफ कर दीजिएगा।
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
अर्थ:
हे शिव शंकर भोलेनाथ! आप ही तो संकटों का नाश करने वाले हे, भक्तों का
कल्याण और सारे शुभ काम आपका नाम लेने से पूरे हो जाते हैं।
यहां एक क्लिक में पढ़ें- “शिव तांडव स्तोत्र”
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥
अर्थ:
योगी यति ऋषि मुनिजन सभी आपका ध्यान करते हैं। नारद और माता सरस्वती
सभी आपको शीश नवाते हैं।
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
अर्थ:
हे भोलेनाथ आपके जप का मूल श्लोक “ऊं नमः शिवाय“ है। इस मन्त्र का जप करके
भी ब्रह्मा आदि देवतागण आपका पार नहीं पा सके।
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
अर्थ:
जो प्राणी इस शिव चालीसा का पाठ मन लगाकर निष्ठा से करता है शिव शम्भु अवश्य
ही उसकी सहायता करते हैं।
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
अर्थ:
जो कोई कर्ज के बोझ से दबा हुआ हो, वह अगर पवित्र मन से आपके इस पाठ को
करे तो शीघ्र ही वह ऋण के से मुक्त हो जायेगा है।
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
अर्थ:
संतान हीन व्यक्ति यदि संतान-प्राप्ति की इच्छा से इसका पाठ करेगा तो निश्चय ही
शिव की कृपा से उसे संतान प्राप्त होगा।
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
अर्थ:
प्रत्येक मास की त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास
में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को घर पर पण्डित को
बुलाकर श्रद्धापूर्वक पूजन व हवन करवाना चाहिए।
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
अर्थ:
जो कोई प्राणी प्रत्येक त्रयोदशी को व्रत व्रत रखने से उसके किसी भी प्रकार के क्लेश
की भावना भी उसके मन में नहीं आती।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
अर्थ:
जो कोई भी धूप, दीप और नैवेद्य से पूजन करके भगवान शिवजी की मूर्ति के सामने
बैठकर यह पाठ करना चाहिए।
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
अर्थ:
शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों
का नष्ट कर देते हैं। अंतकाल में आत्मा भगवान शिवलोक की प्राप्ति होती है,
उसे मोक्ष मिलता है।
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
अर्थ:
अयोध्या दास जी कहते हैं कि हे शिवजी! हमें आपकी ही आशा है। समस्त दुःखों को
दूर करके हमारी मनोकामना पूर्ण करें।
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
अर्थ:
हर रोज प्रातःकाल नित्यकर्म के पश्चात् शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान
भोलेनाथ अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें।
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
अर्थ:
मार्गशीर्ष मास की छठी तिथि हेमंत ऋतु संवत 64 और के समय में भगवान शिव की
स्तुति में यह चालीसा लोककल्याण के लिए के लिए पूर्ण की गई।
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Shiv Chalisa in English with meaning
Shiv Chalisa is one of the important mantras of Lord Shiva in Hinduism. This Chalisa expresses the glory, virtues, and devotion of Lord Shiva. It consists of forty verses, which describe the various names and glories of Lord Shiva.
Reciting Shiva Chalisa gives peace of mind, happiness, and prosperity to the devotee. Moreover, this Chalisa attracts the grace of Lord Shiva and his blessings provide solutions to life’s problems.
By reciting Shiv Chalisa daily, the blessings of Lord Shiva remain and auspicious results come in life. Reciting this also improves the mood of the devotee. By reciting Shiva Chalisa, the wishes of the devotee are fulfilled and they attain salvation. Reciting this makes a person’s life happy and gives them peace.
By understanding the meaning of the verses of Shiva Chalisa, the devotee gets a deep knowledge of the glory of Lord Shiva. Furthermore, chanting it can strengthen one’s sense of the existence of the mind.
Read Shiv Tandav Stotra in English
Importance of Shiv Chalisa:
Shiv Chalisa has been of special importance in the Sanatan Hindu religion. Lord Shiva Shankar is the destroyer of this universe. The only aim of the devotees is to get the blessings of the Devadhi Dev Mahadev and please him. In Vedas and Puranas it is said about “Shiv Chalisa” to please Lord Shankar. According to Shiv Purana, Shiv Chalisa is a very effective way to please Lord Shiva Shankar.
Shiva Chalisa is mentioned in Shiva Purana. According to Shiva Purana, any devotee who recites Shiva Chalisa with full devotion gets all his wishes fulfilled, and becomes free from all troubles.
Recitation Method of Shiv Chalisa:
The method of reciting Shiv Chalisa is as follows-
First of all, meditate that you sit in a peaceful place and your mind is pure, and consider Shiva present in front of you.
Before reciting Shiva Chalisa, keep an incensed, lamp, white sandalwood, garland, and white flowers in the worship of Shiva, and meditate to purify the mind.
Shiv Chalisa should be recited regularly at the same time. This Chalisa can be recited both in the morning and in the evening.
Read Shiv Chalisa with full devotion and devotion. Pray for the blessings of Lord Shiva and request him to fulfill your wishes.
After reciting the Shiva Chalisa, worship Lord Shiva with flowers, lamps, and naivedya and offer thanks for his blessings.
This was the method of reciting Shiv Chalisa. By reading this regularly, Lord Shivshankar will always be happy and there will be happiness and peace in your life.
Benefits of reciting Shiv Chalisa:
Reciting Shiv Chalisa gives many benefits to a person. Some of the important benefits are mentioned below:
Mental Peace: Reciting Shiv Chalisa brings peace of mind and generates positive emotions in the mind.
Removal of fear and superstition: Recitation of Shiv Chalisa removes fear and superstition from a person and they feel new energy.
Fulfillment of all wishes: By reciting Shiv Chalisa all wishes are fulfilled and the person becomes more active toward his goal.
Disease prevention: By reciting Shiva Chalisa, diseases of both body and mind of a person are cured.
Better intelligence: Recitation of Shiv Chalisa improves a person’s intelligence and makes it easier for them to find solutions to problems.
Wealth Prosperity: The recitation of Shiv Chalisa brings wealth prosperity and helps a person to earn more money.
Shiv Chalisa in English
॥ Doha ॥
Jai Ganesh Girija Suvan
Mangal Mul Sujan
Kahat Ayodhya Das
Tum Dey Abhaya Varadan
Meaning:
Hail to you, O son of Girija, Shri Ganesh. You are auspicious, you are the giver of knowledge,
Ayodhyadas prays Lord that you give such a boon that all fears will be destroyed.
॥ Chopai ॥
Jai Girija Pati Dinadayala
Sada Karat Santan Pratipala
Meaning:
Hey Girija husband, hail you Lord Ashutosh who has mercy on the poor,
You have always been the protector of saints.
Bhala Chandrama Sohat Nike
Kanan Kundal Nagaphani Ke
Meaning:
O Mahadev, the half moon is beautiful on your head, you have
Hawthorn coils are beautiful.
Anga Gaur Shira Ganga Bahaye
Mundamala Tan Chhara Lagaye
Meaning:
O Lord Shiva, your complexion is of fair complexion, the Ganges flows from your locks,
You have tonsils around your neck, and ashes on your body.
Vastra Khala Baghambar Sohain
Chhavi Ko Dekha Naga Muni Mohain
Meaning:
You also have tiger skin clothes on your body. Snake looking at your beauty
are also affected.
Maina Matu Ki Havai Dulari
Vama Anga Sohat Chhavi Nyari
Meaning:
Mainavanti’s beloved means Mother Parvati ji is in your left part, her beauty is also there.
Separately pleases the mind.
Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari
Karat Sada Shatrun Chhayakari
Meaning:
O Shiva Shankar, the trishul in your hands fascinates your beauty even more.
You are the doer, you have always destroyed the enemies.
Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise
Sagar Madhya Kamal Hain Jaise
Meaning:
O Mahadev, Nandi and Ganesha look so beautiful in your presence, like the ocean.
Looks like a lotus blooming in between.
Kartik Shyam Aur Gana rauo
Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na Kauo
Meaning:
Your beauty increases with the presence of Kartikeya and other ganas, which
No one can describe the virtues.
Read Shiva Mahimna Stotra Lyrics With Meaning
Devan Jabahi Jaya Pukara
Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara
Meaning:
O Lord Shiva, whenever the gods and goddesses remember you, their
His trouble has been resolved.
Kiya Upadrav Tarak Bhari
Devan Sab Mili Tumahi Juhari
Meaning:
Troubled by various nuisances caused by a demon like Tadkasur, when the deities
Took refuge in you, cried out for protection
Turata Shadanana Apa Pathayau
Luv nimesh Mahi Mari Girayau
Meaning:
O Shiva Shankar, by the prayers of the gods, you immediately killed Tarkasur.
Sent Swami Kartikeya and killed the demon with the power given by you.
Apa Jalandhara Asura Sanhara
Suyash Tumhara Vidit Sansara
Meaning:
You killed the fierce demon named Jalandhar. than yours
The whole world knows that welfare fame spread.
Tripurasur Sana Yudha Machai
Sabhi Kripakar Lina Bachai
Meaning:
Oh Shiv Shankar, you fought with the fierce demon named Tripurasura and killed him.
Did mercy on all the gods and saved them.
Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari
Purahi Pratigya Tasu Purari
Meaning:
O Bholenath, you did the great penance of Bhagirath to bring Gangaji to earth.
Being pleased, he had fulfilled his vow leaving the stream of Ganga with his hair.
Darpa chod Ganga thabb Aayee
Sevak Astuti Karat Sadahin
Meaning:
O Lord, among all the donors in this world, there is no one as big as you, devotee.
Have always been worshiping you.
Veda Nam Mahima Tav Gai
Akatha Anandi Bhed Nahin Pai
Meaning:
O Lord, only you know the secret of your eternal being, there is no description about you.
It can be done, you are unspeakable. Your name has been glorified even in the Vedas.
Pragati Udadhi Mantan te Jvala
Jarae Sura-Sur Bhaye bihala
Meaning:
O Lord, when the ocean of milk was being churned, then in the churning there was a pot full of poison.
When it came out, all the gods and demons were distraught with fear.
Mahadev thab Kari Sahayee,
Nilakantha Tab Nam Kahai
Meaning:
Oh Lord, you only put poison in your throat to help them, so that
You came to be called “Neelkanth”.
Pujan Ramchandra Jab Kinha
Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinhi
Meaning:
O Shiv Shankar, it was only after worshiping you that Shri Ramchandra, by your grace,
conquered lanka conquered lanka and gave it to vibhishana
Made him the king of Lanka.
Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari
Kinha Pariksha Tabahin Purari
Meaning:
When Shri Ram was worshiping Mother Shakti with thousands of lotuses and lotuses in service
If you were offering, then O Bholenath! He was tested by the influence of his Maya.
Ek Kamal Prabhu Rakheu goyee
Kushal-Nain Pujan Chahain Soi
Meaning:
When the mother hid a lotus. Rajivanayan to complete his worship
Lord Rama decided to perform the puja with his eye instead of the lotus.
Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar
Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit Var
Meaning:
You were pleased to see such a difficult devotion of Shri Ram and granted him the desired boon.
be provided.
Jai Jai Jai Anant Avinashi
Karat Kripa Sabake Ghat Vasi
Meaning:
O infinite imperishable Lord Bholenath, who is merciful to all,
Bholenath who resides, hail you.
Dushta Sakal Nit Mohin Satavai
Bhramat Rahe Man Chain Na Avai
Meaning:
Oh Lord, all the evils like lust, anger, attachment, greed, pride keep troubling me. they have
I have been put in confusion, so I do not get peace even for a moment.
Trahi-Trahi Main Nath Pukaro
Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro
Meaning:
O Lord! Tired of these things, I have come to your shelter. of this crisis
Only you can save me.
Lai Trishul Shatrun Ko Maro
Sankat Se Mohin Ana Ubaro
Meaning:
Destroy all these evils with your trident and free me from these troubles.
Mata Pita Bhrata Sab Hoi
Sankat Men Puchhat Nahin Koi
Meaning:
Relatives like parents and brothers etc. are all companions in happiness.but the crisis
No one supports you when you fall.
Swami Ek Hai Asha Tumhari
Ai Harahu Ab Sankat Bhari
Meaning:
O lord of the world! You are the one on whom I have pinned my hopes. you come soon
Take away this great trouble of mine.
Dhan Nirdhan Ko Deta Sadahin
Arat jan ko peer mitaee,
Meaning:
You have always given money to the poor and help them. whoever is your
As one does devotion, so does one get the fruit.
Importance of Mahashivaratri Festival
Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari
Shambhunath ab tek tumhari
Meaning:
How can we ignorant praise you, pray to you Lord, if
O Bholenath, forgive us if we have made any mistake in worshiping you.
Shankar Ho Sankat Ke Nashan
Vighna Vinashan Mangal Karan
Meaning:
O Shiv Shankar Bholenath! You are the one who destroys the troubles of the devotees.
Welfare and all auspicious works are completed by taking your name.
Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan
Sharad Narad Shisha Navavain
Meaning:
Yogi Yeti Rishi Munijan all meditate on you. Narad and Mother Saraswati
Everyone bows to you
Namo Namo Jai Namah Shivaya
Sura Brahmadik Par Na Paya
Meaning:
O Bholenath, the basic verse of your chanting is “Om Namah Shivay”. by chanting this mantra
Even the gods like Brahma could not cross you.
Jo Yah Patha Karai Man Lai
To kon Hota Hai Shambhu Sahai
Meaning:
The creature who recites this Shiv Chalisa with devotion is definitely Shiv Shambhu.
only helps him.
Riniyan Jo Koi Ho Adhikari
Patha Karai So Pavan Hari
Meaning:
Whoever is under the burden of debt, if he reads this text of yours with a pure heart,
If he does, he will soon be free from debt.
Putra-hin Ichchha Kar Koi
Nischaya Shiva Prasad Tehin Hoi
Meaning:
If a childless person recites this with the desire to have a child, then surely
By the grace of Shiva, he will get a child.
Pandit Trayodashi Ko Lavai
Dhyan-Purvak Homa Karavai
Meaning:
Trayodashi of each month (The thirteenth day of the lunar month is called Trayodashi, every lunar
There are two Trayodashi, one in Krishna Paksha and one in Shukla Paksha) to the Pandit at home
Worship and Havan should be performed with devotion by calling.
Trayodashi Vrat Kare Hamesha
Tan Nahin Take Rahe Kalesha
Meaning:
Any creature who observes a fast on every Trayodashi gets rid of any kind of troubles.
Even the feeling does not cross his mind.
Dhuupa Diipa Naivedya Chadhaave
Shankara Sammukha Paatha Sunaave
Meaning:
Whoever worships with incense, lamp and naivedya in front of the idol of Lord Shiva
You should recite this while sitting.
Janma Janma Ke Paapa Nasaave
Anta Dhaama Shivapura Men Paave
Meaning:
By reciting Shiv Chalisa, Lord Bholenath washes away the sins of his birth after birth.
Let’s destroy. At the end, the soul attains Lord Shivlok,
He gets salvation.
Kahai Ayodhya Asha Tumhari,
Jani Sakal Dukha Harahu Hamari
Meaning:
Ayodhya Das ji says that O Lord Shiva! We have only hope in you. to all sorrows
Fulfill our wishes by taking them away.
Read here in one click ~ Shiv Manas Puja
॥ Doha ॥
Nitya Nema kari Pratahi
Patha karau Chalis
Meaning:
Recite Shiv Chalisa every morning after daily routine and God
Pray to Bholenath to fulfill your wishes.
Tum Meri Man Kamana
Purna Karahu Jagadisha
Meaning:
On the sixth date of the month of Marshish, in the Hemant season, Samvat 64, Lord Shiva
This Chalisa was completed in praise for public welfare.
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