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Shiva Aahvaan Mantra

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Shiva Aahvaan Mantra

शिव आवाहन मंत्र । Shiva Aahvaan Mantra

शिव आह्वान मंत्र (Shiva Aahvaan Mantra) भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक पवित्र मंत्र है। “आह्वान” का अर्थ है “आमंत्रण” या “बुलावा”, और यह मंत्र भगवान शिव को व्यक्तिगत रूप से पूजा स्थल पर आमंत्रित करता है।

सम्पूर्ण शिव महापुराण हिंदी में

आह्वान मंत्र को दोहराकर, भक्त भगवान शिव से पूजा स्थल पर आने और उनकी प्रार्थना स्वीकार करने का अनुरोध करते हैं। यह मंत्र भगवान शिव से भक्तों को जीवन के परीक्षणों से मुक्ति दिलाने और उनकी रक्षा करने की कृपा करने का अनुरोध करता है। यह मंत्र पारंपरिक रूप से पूजा की शुरुआत में लगाया जाता है, जब भगवान शिव को किसी प्रतीक या चित्र के सामने श्रद्धापूर्वक बुलाया जाता है।

शिव आवाहन मंत्र लाभ :

शिव आह्वान मंत्र का जाप भगवान शिव को बुलाने और उनकी उपस्थिति का आह्वान करने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का उपयोग मुख्य रूप से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्ति और समारोहों के दौरान किया जाता है। यह मंत्र भगवान शिव की शक्ति और उनके निर्भयता के वरदान का आह्वान करता है, जो भक्त को सभी भय और कठिनाइयों से मुक्त करता है।

शिव आवाहन मंत्र का जाप भगवान शिव की उपस्थिति का आह्वान करता है और भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता करता है। पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करके, भक्त अपने विचारों, शब्दों और कार्यों से भगवान शिव का आह्वान करता है, उनका अनुग्रह और आशीर्वाद मांगता है। भगवान शिव को शांत, सहनशील और शीतलता का सार माना जाता है। उनका जाप भक्त के मानस को शांत और संतुलित करता है।

शिव आवाहन मंत्र (Shiva Aahvaan Mantra) विधि:

शिव आवाहन मंत्र का उपयोग भगवान शिव को आमंत्रित करने के लिए किया जाता है ताकि वे पूजा स्थल पर उपस्थित हों और भक्त की प्रार्थना को स्वीकार करें। शिव आवाहन मंत्र विधि के लिए सबसे पहले पूजा के लिए स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें। यह स्थान भगवान शिव की मूर्ति, शिवलिंग, या चित्र के समक्ष होना चाहिए। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एक साफ और पवित्र आसन पर बैठें। पहले स्वयं का, पूजा स्थल का और पूजा सामग्री का शुद्धिकरण करें।

पूजा के सभी आवश्यक सामग्रियों को एकत्रित करें, जैसे पुष्प, बेलपत्र, धूप, दीप, फल, नैवेद्य (प्रसाद), गंगाजल आदि। भगवान शिव का ध्यान करें, उनकी मूर्ति या चित्र के समक्ष प्रणाम करें। फिर मन में भगवान शिव की छवि बनाकर, उनसे पूजा में उपस्थित होने का निवेदन करें। अब शिव आवाहन मंत्र का उच्चारण करें, जिससे भगवान शिव को पूजा स्थल पर आमंत्रित किया जा सके।

यहां एक क्लिक में पढ़ें- “शिव तांडव स्तोत्र”

 

৷৷ शिव आवाहन मंत्र ৷৷

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ৷৷

अर्थ:
हे मृत्युंजय (मृत्यु को जीतने वाले), हे परेशानियों को दूर करने वाले, और जगत के भय को नष्ट करने वाले देवेश! जो भी आपके ध्यान में लीन होता है, वह मृत्यु को प्राप्त करके भी जीवित रहता है।

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ৷৷

अर्थ:
मैं ईशान (शिव) देवता को वंदन करता हूँ, और उस पिनाकधारी (धनुष पिनाक को धारण करने वाले) को नमस्कार करता हूँ। जो आदि, मध्य और अंत के रूप में स्थित हैं, वे मुझे मृत्यु के भय से मुक्त करें।

नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ৷৷

अर्थ:
मैं उस भगवान को नमस्कार है, जो कैलाश पर्वत पर वास करते हैं। ब्रह्मा और इन्द्र के रूप वाले भगवान को नमस्कार है, वे मुझे मृत्यु के भय से मुक्त करें।

यहां एक क्लिक में पढ़ें- श्रावण मास में शिव के प्रिय बिल्व पत्र

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ৷৷

अर्थ:
त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले) भगवान को नमस्कार है, पाँच मुखों वाले भगवान को बार-बार नमस्कार है। दो भुजाओं में डंड और धनुष धारण करने वाले भगवान को नमस्कार है, मेरी मृत्यु का नाश करें।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ৷৷

अर्थ:
जो अर्धचंद्र को अपने मस्तक पर धारण करते हैं, उन्हें नमस्कार है। जो दिगंबर (दिशाओं को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले) हैं, उन्हें नमस्कार है। जो भक्तों की पीड़ा का हरण करते हैं, उन्हें नमस्कार है। कृपया मेरी मृत्यु का नाश करें।

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ৷৷

अर्थ:
वह देवता मृत्यु को नष्ट करने वाले, भय को हरने वाले, और साम्राज्य की मुक्ति प्रदान करने वाले हैं। विभिन्न भूतगणों द्वारा सज्जित और दिव्य पदों पर देवताओं द्वारा दिव्य लोकों में सदा सेवित होते हैं।

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ৷৷

अर्थ:
जो अज्ञान के अंधकार को नष्ट करते हैं, जो शुभ फल देने वाले हैं, जो विधियों में सुख प्रदान करते हैं; सर्वव्यापी महेश्वर (शिव) को, जो हर चीज के रक्षक हैं, मैं मृत्युंजय (मृत्यु को जीतने वाले) की आराधना करता हूँ।

इति श्री शिव आवाहन मंत्र सम्पूर्ण ৷৷

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