Shiv Manas Pooja in Hindi
शिव मानस पूजा (Shiv Manas Pooja Hindi) एक सुंदर भावनात्मक स्तुति है, जो आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित, जिसमे कोई भी प्राणी मानसिक रूप से भगवान् शिव की पूजा कर सकता है। भगवान शिव की पूजा करने के लिए कोई प्राणी बिना किसी साधन-सामग्री के शिव मानस पूजा स्तोत्र से कर सकता हैं।
शिव मानस पूजा एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो कई हिन्दू धर्म में भगवान शिव के भक्तों के बीच लोकप्रिय है। यह भगवान शिव की मानसिक पूजा का एक रूप है जहां ध्यान के अभ्यास के माध्यम से उनकी उपस्थिति महसूस की जाती है।
शिव मानस पूजा में उपयोग किए जाने वाले मंत्रों को शिव मानस पूजा स्त्रोत्र भी कहा जाता है। शिव मानस पूजा एक गहरा आध्यात्मिक और गहरा अनुभव है, और कहा जाता है कि इस प्रकार पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद और कृपा दृस्टि रहती है।
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शिव मानस पूजा परिचय:-
शिव मानस पूजा (Shiv Manas Pooja Hindi) में 5 श्लोक हे, जो भगवान शिव की पूजा अर्चना, अभिषेक, धूप, दीप, नैवेद्य, आरती आदि मानसिक रूप से पूजा कर सकते है। शिव मानस पूजा में उपयोग किए जाने वाले मंत्रों को शिव मानस पूजा स्त्रोत्र भी कहा जाता है।
शिव मानस पूजा स्तुति की रचना आठवीं शताब्दी के आध्यात्मिक गुरु, आदि शंकराचार्य जी ने की थी। इसे 1960 के दशक में बाबा मुक्तानन्द ने आश्रम के दैनिक कार्यक्रम में, ‘श्रीशिवमहिम्नः स्तोत्रम्’ के पाठ के साथ सम्मिलित किया और तभी से यह स्तोत्र सिद्धयोग आश्रमों में गाया जाता है। सिद्धयोगी जब सेवा करना आरम्भ करते हैं तब नियमित रूप से श्रीशिवमानसपूजा के श्लोक 4 और 5 गाते हैं और इस प्रकार वे अपने कर्मों को श्रीगुरु और भगवान की सेवा में समर्पित करते हैं।
शिव मानस पूजा (Shiv Manas Pooja Hindi) को करने के लिए, प्रथम शिव के ध्यान में लग जाना चाहिए। इसके बाद, ध्येय को भगवान शिव की पूर्ण आकार में सोचना चाहिए। इसके बाद, मानसिक रूप से पूजा अर्चना, अभिषेक, धूप, दीप, नैवेद्य, आरती आदि करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शिव मानस पूजा के दौरान, भगवान शिव के स्वरूप, उनके गुण, उनके लीलाएँ, उनके मंत्रों आदि के बारे में ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस पूजा में, मन को शुद्ध करना और भगवान शिव की दिशा में ध्यान केंद्रित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
शिव मानस पूजा को भगवान शिव से जुड़ने और उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का एक शक्तिशाली और प्रभावी तरीका माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा को भक्ति के साथ करने से व्यक्ति आध्यात्मिक उत्थान और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकता है।
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शिव मानस पूजा महत्त्व :-
शिव मानस पूजा (Shiv Manas Pooja Hindi) पूजा का एक रूप है जहां भक्त ध्यान, दृश्य और मंत्रों के जाप के माध्यम से भगवान शिव की मानसिक पूजा करता है। शिव मानस पूजा के महत्व निम्नलिखित है:
1) आध्यात्मिक उत्थान: शिव मानस पूजा मन और आत्मा को शुद्ध करने और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है। भगवान शिव का ध्यान करने और उनके दिव्य रूप की कल्पना करने से, भक्त गहराई से परमात्मा से जुड़ सकता है, जिससे आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास हो सकता है।
2) आंतरिक परिवर्तन: शिव मानस पूजा भक्त को भक्ति, विनम्रता और कृतज्ञता जैसे आंतरिक गुणों को विकसित करने में मदद करती है। भगवान शिव के दिव्य गुणों पर ध्यान केंद्रित करके, भक्त इन गुणों को अपने भीतर विकसित कर सकता है।
3) नकारात्मकता को दूर करना: मंत्रों का जाप और भगवान शिव का ध्यान करके, भक्त नकारात्मक विचारों और भावनाओं को समाप्त कर सकता है, और उन्हें सकारात्मक ऊर्जा और शांति की भावना से बदल सकता है। यह तनाव और चिंता और प्रोमो को कम करने में मदद करता है, ते एक स्वस्थ और सुखी जीवन।
4) लचीलापन: शिव मानस पूजा कहीं भी और किसी भी समय भौतिक वस्तुओं या सामग्रियों की आवश्यकता के बिना की जा सकती है। यह व्यस्त जीवन शैली में भी पूजा करने का एक लचीला और सुलभ तरीका बनाता है।
5) भगवान शिव के साथ संबंध: शिव मानस पूजा करके, भक्त भगवान शिव के साथ गहरा संबंध स्थापित कर सकता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। यह भक्त के परमात्मा के साथ संबंध को मजबूत करने में मदद करता है और आध्यात्मिक पूर्णता की भावना को बढ़ावा देता है।
कुल मिलाकर, शिव मानस पूजा उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास है जो भगवान शिव के साथ गहरा संबंध और अधिक सार्थक आध्यात्मिक जीवन चाहते हैं। यह पूजा करने, आंतरिक गुणों को विकसित करने और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने का एक लचीला और सुलभ तरीका प्रदान करता है।
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शिव मानस पूजा (Shiv Manas Pooja Hindi) का लाभ:-
शिव मानस पूजा (Shiv Manas Pooja) एक प्रार्थना है जो हिंदू धर्म में सबसे सम्मानित देवताओं में से एक भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रार्थना को भक्ति और ईमानदारी के साथ करने से आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों तरह के कई लाभ मिल सकते हैं। शिव मानस पूजा के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
आध्यात्मिक विकास: शिव मानस पूजा का पाठ भगवान शिव से जुड़ने और उनके आध्यात्मिक विकास को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह भक्ति की भावना विकसित करने और परमात्मा के प्रति समर्पण में मदद कर सकता है।
बाधाओं को दूर करना: भगवान शिव को बाधाओं के निवारण के रूप में जाना जाता है, और शिव मानस पूजा का पाठ करने से जीवन में बाधाओं और कठिनाइयों पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।
भगवान शिव का आशीर्वाद: प्रार्थना भगवान शिव का आशीर्वाद पाने का एक तरीका है, जो अपनी परोपकारिता और उदारता के लिए जाने जाते हैं।
आंतरिक शांति और सद्भाव: प्रार्थना मन को शांत करने और आंतरिक शांति और सद्भाव प्राप्त करने में मदद कर सकती है। यह तनाव और चिंता को कम करने और कल्याण की भावना को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: शिव मानस पूजा का पाठ करने से भी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और खुद को नुकसान से बचाने में मदद मिल सकती है।
मनोकामनाओं की पूर्ति ऐसा माना जाता है कि शिव मानस पूजा को भक्ति और ईमानदारी के साथ करने से व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकता है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
कुल मिलाकर, शिव मानस पूजा के कई लाभ हैं, और यह आध्यात्मिक विकास और व्यक्तिगत परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली साधन हो सकता है।
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॥ शिव मानस पूजा / Shiv Manas Pooja ॥
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं।
नाना रत्न विभूषितम् मृग मदामोदांकितम् चंदनम॥
जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा।
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितम् गृह्यताम्॥1॥
अर्थ:
हे महादेव, हे दयानिधे, हे पशुपते, यह रत्ननिर्मित सिंहासन, शीतल जल से स्नान, नाना रत्न से विभूषित दिव्य वस्त्र, कस्तूरि आदि गन्ध से मिला हुआ चन्दन, जूही, चम्पा और बिल्वपत्रसे रचित पुष्पांजलि तथा धूप और दीप यह सब मानसिक पूजा ग्रहण कीजिये।
सौवर्णे नवरत्न खंडरचिते पात्र धृतं पायसं।
भक्ष्मं पंचविधं पयोदधि युतं रम्भाफलं पानकम्॥
शाका नाम युतं जलं रुचिकरं कर्पूर खंडौज्ज्वलं।
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥2॥
अर्थ:
मैंने नवीन रत्नखण्डोंसे जड़ित सुवर्णपात्र में घृतयुक्त खीर, दूध और दधिसहित पांच प्रकार का व्यंजन, कदलीफल, शरबत, अनेकों शाक, कपूरसे सुवासित और स्वच्छ किया हुआ मीठा जल तथा ताम्बूल यह सब मनके द्वारा ही बनाकर प्रस्तुत किये हैं।
हे प्रभो, कृपया इन्हें स्वीकार कीजिये।
छत्रं चामर योर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निमलं।
वीणा भेरि मृदंग काहलकला गीतं च नृत्यं तथा॥
साष्टांग प्रणतिः स्तुति-र्बहुविधा ह्येतत्समस्तं ममा।
संकल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो॥3॥
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अर्थ:
छत्र, दो चँवर, पंखा, निर्मल दर्पण, वीणा, भेरी, मृदंग, दुन्दुभी के वाद्य, गान और नृत्य, साष्टांग प्रणाम, नानाविधि स्तुति यह सब मैं संकल्पसे ही आपको समर्पण करता हूँ। हे प्रभु, मेरी यह पूजा ग्रहण कीजिये।
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं।
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः॥
संचारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो।
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्॥4॥
अर्थ:
हे शम्भो, मेरी आत्मा तुम हो, बुद्धि पार्वतीजी हैं, प्राण आपके गण हैं, शरीर आपका मन्दिर है, सम्पूर्ण विषयभोगकी रचना आपकी पूजा है, निद्रा समाधि है, मेरा चलना-फिरना आपकी परिक्रमा है तथा सम्पूर्ण शब्द आपके स्तोत्र हैं। इस प्रकार मैं जो-जो कार्य करता हूँ, वह सब आपकी आराधना ही है।
कर चरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥5॥
अर्थ:
हाथोंसे, पैरोंसे, वाणीसे, शरीरसे, कर्मसे, कर्णोंसे, नेत्रोंसे अथवा मनसे भी जो अपराध किये हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको हे करुणासागर महादेव शम्भो। आप क्षमा कीजिये। हे महादेव शम्भो, आपकी जय हो, जय हो।
॥ इति श्री शंकराचार्य विरचिता शिवमानसपूजा संपूर्ण ॥
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