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रुक्मिणी विवाह हिंदी में

रुक्मिणी विवाह (Rukmani Vivah) हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में वर्णित एक महत्वपूर्ण घटना है। यह कथा भगवान श्रीकृष्ण और विदर्भ राजकुमारी रुक्मिणी के विवाह की अद्भुत कहानी को प्रस्तुत करती है, जिसमें प्रेम, धर्म, और अधर्म के संघर्ष का गहन चित्रण मिलता है। रुक्मिणी विवाह की कथा मुख्य रूप से भागवत पुराण और और महाभारत जैसे ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण और विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी के दिव्य विवाह का वर्णन है।

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रुक्मिणी विदर्भ नरेश राजा भीम क की पुत्री थीं। वह अत्यंत सुंदर, गुणवान और श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनकी भक्ति इतनी प्रबल थी कि उन्होंने अपने जीवनसाथी के रूप में श्रीकृष्ण को ही स्वीकार किया। हालांकि, उनके भाई रुक्म श्रीकृष्ण के शत्रु थे और उन्होंने रुक्मिणी का विवाह चन्देरी के राजा शिशुपाल से करने का निर्णय लिया। रुक्मिणी को यह निर्णय स्वीकार नहीं था, लेकिन राजकुमारी होने के नाते वह इस विरोध को खुलकर व्यक्त नहीं कर सकती थीं।

रुक्मिणी ने अपनी व्यथा और अपने हृदय की भावना श्रीकृष्ण तक पहुँचाने के लिए एक प्रेम पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने श्रीकृष्ण से विवाह के लिए प्रार्थना की और उनसे आग्रह किया कि वे आकर उन्हें इस अन्यायपूर्ण विवाह से मुक्त करें। उन्होंने यह भी लिखा कि यदि श्रीकृष्ण उन्हें बचाने नहीं आए, तो वह अपने प्राण त्याग देंगी।

रुक्मिणी का पत्र पाकर श्रीकृष्ण ने तुरंत द्वारका से विदर्भ की ओर प्रस्थान किया। रुक्मिणी ने भगवान को संदेश दिया था कि वे मंदिर में उनकी पूजा करते समय उन्हें लेकर भाग जाएं। विवाह के दिन जब रुक्मिणी शिव मंदिर में पूजा कर रही थीं, तब श्रीकृष्ण ने अपनी योजना के अनुसार रुक्मिणी का हरण किया। इस घटना से क्रोधित होकर रुक्म और शिशुपाल ने श्रीकृष्ण का पीछा किया, लेकिन श्रीकृष्ण ने रुक्मी को पराजित कर दिया।

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रुक्मिणी विवाह रुक्मिणी विवाह (Rukmani Vivah) की कथा यह दर्शाती है कि भक्ति और विश्वास में अद्भुत शक्ति होती है। रुक्मिणी का भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और समर्पण यह संदेश देता है कि जब भक्त सच्चे हृदय से भगवान को पुकारता है, तो भगवान उसकी सहायता के लिए अवश्य आते हैं। यह कथा यह भी सिखाती है कि धर्म और न्याय की रक्षा के लिए भगवान का हस्तक्षेप हमेशा होता है।

रुक्मिणी विवाह रुक्मिणी विवाह (Rukmani Vivah) की कथा केवल एक पौराणिक कहानी नहीं है, बल्कि यह एक जीवन दर्शन है। यह हमें सिखाती है कि प्रेम, भक्ति, और धर्म की शक्ति अपराजेय है। यह कथा आज भी भक्तों को भगवान के प्रति अटूट विश्वास और समर्पण की प्रेरणा देती है।

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