असली प्राचीन रावण संहिता हिंदी में
‘रावण संहिता’ (Ravan Samhita in Hindi) एक प्राचीन ग्रन्थ है। लंकापति दशानन रावण सभी शास्त्रों का जानकार और श्रेष्ठ विद्वान था। रावण ने ज्योतिष, तन्त्र, मन्त्र जैसी अनेक पुस्तकों की रचना की थी। इन्हीं में से एक रावणसंहिता है। रावण संहिता में रावण ने बिल्व पत्र पूजन का विशेष महत्व बताया है। ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार रावण संहिता के अध्याय 4 में बिल्व वृक्ष से सम्बन्धित बातों का उल्लेख किया है।
दशानन रावण परम विद्वान तथा अंग-उपांगों सहित चारोंवेदों का ज्ञाता था। फिर भी दुष्कर्मों में प्रवृत्त हुआ। अभिमान ने भटका दिया उसे या फिर जब विजय की मूर्च्छा टूटी तब तक काफी आगे बढ़ चुका था वह – पीछे जाना असंभव था। श्रीरामके हाथों मृत्यु को वरण किया- यह समझदारी थी उसकी। शस्त्र-शास्त्र ज्ञाता लंकाधिपति रावण के जीवन में उतार-चढ़ाव की अनूठी गाथा है रावण संहिता में।
‘रावण संहिता’ (Ravan Samhita in Hindi) नामक इस ग्रंथ में रावण की जीवनगाथा के साथ ही उन साधनाओं का भी वर्णन है, जिनके बल से वह त्रैलोक्य विजयी बना। इस प्रकार ज्योतिष,तंत्र-मन्त्रोपासना,चिकित्सा व शीवराधना के बारे में सरल और विस्तृत जानकारी प्राप्त करने वालों के लिए यह एक आदर्श ग्रंथ है। अब उन्हे गुह्य विद्याओं के रहस्यों को जानने के लिये अन्य ग्रंथो के पन्ने पलटने की आवस्यकता नहीं है इस एक ग्रंथ में ही सब समाहित है।
Table of Contents
Toggle(Ravan Samhita in Hindi)परिचय:-
रावण संहिता पुस्तक में ज्योतिष, हस्तरेखा और सामुद्रिक शास्त्र का समावेश है। यदि आपकी रुचि ज्योतिष में है, तो यह पुस्तक आपके लिए उपयोगी है— इसमें नयापन है। रावण संहिता ग्रंथ पांच खंडों में विभाजित है, जो निम्नलिखित है।
प्रथम खंड:
रावण संहिता के इस खंड में है रावण का संपूर्ण जीवन वृत्त । इसे मूल संस्कृत के साथ सरल हिंदी में दिया गया है। मूल को जहां से उद्धृत किया गया है, उसके अनुसार यह खंड वाल्मीकीय रामायण का है।
दूसरे खंड:
रावण संहिता के दूसरे खंड में उन साधनाओं की चर्चा है, जो शिवोपासना से संबंधित हैं। प्रणव व पंचाक्षर साधना के साथ ही इसमें लिंग स्थापना और शिवपूजन की शास्त्रीय विधियां दी गई हैं।
तीसरे खंड:
रावण संहिता के इस खंड में तंत्र-मंत्र साधनाओं के रहस्यों को उजागर किया गया है। तंत्र का एक भाग है, वनस्पतियों के चमत्कारी प्रयोग। तंत्र का यह भाग आयुर्वेद से संबंधित होता हुए भी उससे पूरी तरह भिन्न है। योद्धा के लिए औषधि ज्ञान जरूरी है, रावण उसका भी परम ज्ञाता था।
चतुर्थ खंड:
रावण संहिता के चतुर्थ खंड से उसके इसी औषधि संबंधी ज्ञान का लक्षण मिलता है।
पंचम खंड:
रावण संहिता के इस खंड में ज्योतिष और योगों के विशेष की चर्चा की गई है। इस खंड में ऐसी सामग्री का समावेश नहीं किया गया है, जो ‘भृगु संहिता’ जैसे ग्रंथों में प्राप्त हैं। विदित हो कि बाजार में उपलब्ध ‘लाल किताब’ का संबंध भी रावण संहिता से ही है।
यह भी पढ़े
Please wait while flipbook is loading. For more related info, FAQs and issues please refer to DearFlip WordPress Flipbook Plugin Help documentation.