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राघवयादवीयम् हिंदी में

राघवयादवीयम् (Raghavyadviyam) एक संस्कृत स्त्रोत्र है। यह कांचीपुरम के १७वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि द्वारा रचित एक अद्भुत ग्रन्थ है। राघवयादवीयम् ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है।

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राघवयादवीयम् का परिचय:-

राघवयादवीयम् (Raghavyadviyam) काव्य में रामकथा के केवल 30 श्लोक है, परंतु कृष्णकथा के भी ३० श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो ६० श्लोक बनते हैं। राघवयादवीयम् पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाला ग्रंथ है।

जब आप किताब को सीधा पढ़े तो रामायण की कथा पढ़ी जाए और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े तो कृष्ण भागवत की कथा सुनाई दे। कांचीपुरम के 17वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ राघवयादवीयम् ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम–विलोम काव्य’ भी कहा जाता है।

 

अनुलोम–विलोम:-

अनुलोम
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ 1॥

अनुलोम अर्थ
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूँ जिनके ह्रदय में सीताजी रहती हैं तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्रि की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे।

विलोम :
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ 1॥

विलोम अर्थ
मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हू जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं तथा जिनकी शोभा समस्त रत्नों की शोभा को हर लेती है।

 

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