नवदुर्गा हिंदी में
नवरात्रि का पर्व शक्ति, भक्ति और साधना का विशेष समय होता है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवदुर्गा (Navdurga) के हर स्वरूप का अलग महत्त्व और विशेषता होती है। इस शुभ अवसर पर हम आपके लिए “नवदुर्गा के नौ स्वरूपों” की विशेष बुक लेकर आए हैं, जिसमें माता के सभी स्वरूपों का विस्तृत विवरण दिया गया है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री का संपूर्ण विवरण के साथ उनके प्रतीक, वाहन, पूजा विधि और महत्त्व की विस्तृत जानकारी।
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Table of Contents
Toggleनवदुर्गा (Navdurga):
1. शैलपुत्री (पहला दिन)
माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। उनके दाएँ हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल होता है। यह नंदी पर सवारी करती हैं।
महत्व: यह देवी शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। इनकी आराधना से स्थिरता और मनोबल प्राप्त होता है।
2. ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन)
माँ ब्रह्मचारिणी घोर तपस्या का स्वरूप हैं। इनके एक हाथ में जपमाला और दूसरे में कमंडल होता है।
महत्व: इनकी पूजा से संयम, त्याग और साधना की शक्ति प्राप्त होती है।
3. चंद्रघंटा (तीसरा दिन)
माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है। इनके दस हाथ होते हैं और ये सिंह पर सवार रहती हैं।
महत्व: यह देवी शौर्य, पराक्रम और निर्भयता की प्रतीक हैं।
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4. कूष्मांडा (चौथा दिन)
माँ कूष्मांडा को सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी कहा जाता है। इनके आठ हाथ होते हैं, जिनमें कमंडल, धनुष, कमल आदि होते हैं।
महत्व: इनकी पूजा से समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
5. स्कंदमाता (पाँचवाँ दिन)
माँ स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। यह कमलासन पर विराजमान होती हैं।
महत्व: इनकी आराधना से संतान सुख और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
6. कात्यायनी (छठा दिन)
माँ कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है। यह सिंह पर सवार होती हैं और चार हाथों में तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण करती हैं।
महत्व: यह देवी विवाह और प्रेम जीवन में सुख-समृद्धि देती हैं।
7. कालरात्रि (सातवाँ दिन)
माँ कालरात्रि का रंग काला होता है और यह रौद्र रूप में होती हैं। इनके चार हाथों में खड्ग और अग्नि होती है।
महत्व: इनकी पूजा से नकारात्मक ऊर्जा और भय से मुक्ति मिलती है।
8. महागौरी (आठवाँ दिन)
माँ महागौरी अति श्वेत वर्ण की होती हैं और बैल पर सवार रहती हैं। इनके हाथ में त्रिशूल और डमरू होता है।
महत्व: यह देवी शांति, करुणा और ज्ञान की प्रतीक हैं।
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9. सिद्धिदात्री (नवमाँ दिन)
माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। यह कमलासन पर विराजमान होती हैं और चार हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण करती हैं।
महत्व: इनकी आराधना से आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
नवदुर्गा (Navdurga) की आराधना से भक्त को शक्ति, समृद्धि और आत्मबल प्राप्त होता है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के इन नौ स्वरूपों की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता, सफलता और शांति का संचार होता है।
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