श्री कल्कि पुराण हिंदी में
कल्कि पुराण (Kalki Purana in Hindi) हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक उपपुराण है जो वेद व्यास द्वारा रचित पुराणों की श्रृंखला में से एक है। यह पुराण भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार “कल्कि” की भविष्यवाणी और उनकी लीलाओं का वर्णन करता है। कल्कि अवतार को कलियुग के अंत में अवतरित होने वाला माना गया है, जब अधर्म और अराजकता का बोलबाला होगा, और वह धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे।
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इस पुराण में वर्णन है कि कलियुग में जब पाप और अधर्म अपने चरम पर होंगे, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होंगे। वह असुरों, म्लेच्छों, और अधार्मिक शासकों का नाश करेंगे और सत्य, धर्म और शांति की स्थापना करेंगे। कल्कि पुराण (Kalki Purana in Hindi) में भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है, जैसे कि भगवान कल्कि का जन्म, उनका विवाह, उनके युद्ध, और अंततः उनका कलियुग के अंधकार को समाप्त करना।
भगवान कल्कि न केवल अधर्म का नाश करेंगे बल्कि धर्म और वैदिक संस्कृति को फिर से स्थापित करेंगे, जो कलियुग में नष्टप्राय हो जाएगी। उनका अवतार धर्म की पुनर्स्थापना और मानवता के उद्धार के लिए होगा। विष्णु के कल्कि रूप में अवतार लेने का समय और स्थान वर्णित है। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में होगा, और उनका उद्देश्य अधर्म का नाश करना होगा। कल्कि पुराण में भगवान कल्कि की युद्ध लीलाओं और उनके द्वारा अधर्मी शासकों और अन्यायियों के नाश का वर्णन किया गया है।
इसमें 35 अध्याय होते हैं, जो भगवान कल्कि के जन्म, उनके जीवन, उनके विवाह, उनकी युद्ध लीलाओं, और अंततः कलियुग के अराजकता के अंत का वर्णन करते हैं। इस पुराण में भविष्य की घटनाओं का ऐसा वर्णन किया गया है जैसे वे पहले ही घटित हो चुकी हों, जो इसे और भी अद्भुत और प्रेरणादायक बनाता है।
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कल्कि पुराण (Kalki Purana in Hindi) का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्त्व है। यह एक भविष्यवाणी पर आधारित ग्रंथ है जो कलियुग के अंत में धर्म की पुनर्स्थापना की बात करता है। इसमें अधर्म का नाश और सत्य, अहिंसा, और धर्म का पुनरुत्थान महत्वपूर्ण पहलू हैं। भगवान विष्णु का यह अवतार आने वाले समय में समाज में धर्म और न्याय की स्थापना का प्रतीक है।
कल्कि पुराण न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी गहरा संदेश देता है। यह हमें याद दिलाता है कि अधर्म का नाश और धर्म की पुनर्स्थापना सृष्टि का शाश्वत नियम है। भगवान कल्कि का अवतार इस सत्य की पुष्टि करता है कि अंततः सत्य की ही विजय होती है और अधर्म का अंत निश्चित है।
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