चार वेद की संपूर्ण जानकारी और महत्व, संक्षिप्त परिचय / (introduction of Four Vedas)
सभी विद्वानों द्वारा एकमत से वेदो (introduction of Four Vedas) को इस संसार का प्राचीनतम ग्रंथ स्वीकार किया गया है। वेद शब्द का सामान्य अर्थ ज्ञान है। आचार्य सायण के अनुसार वेद वह शब्द- राशि है, जो अभीष्ट प्राप्ति और अनिष्ट को दूर रखने का अलौकिक, दिव्य उपाय बताता है। वेद ब्रह्माजी द्वारा ऋषिओ को दिए गए ज्ञान का स्रोत हैं।
वेद का परिचय:-
वेद (introduction of Four Vedas) शब्द का अर्थ “ज्ञान” है। वेद हमारे धार्मिक ग्रंथ तो हैं ही उसके साथ-साथ हिंदूधर्म के धर्म को सूचित करते हैं। वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रंथ है। वेद दुनिया के सभी ग्रंथो में से सबसे पुराने धर्मग्रन्थ माना जाते है। वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुरानी और पहले लिखित दस्तावेज है।
वेद (introduction of Four Vedas) सनातन धर्म और विश्व का प्राचीनतम ग्रंथ है। वेद पूर्णता ऋषिओ द्वारा सुने गए ज्ञान पर आधारित है, इसीलिए इसे श्रुति कहा जाता है। वेद संस्कृत के शब्द से निर्मित है, जिसका अर्थ ज्ञान होता है। यह प्राचीनतम ज्ञान विज्ञान का अथाह भंडार है। वेद में मनुष्य के हर समस्या का समाधान मिलता है।
हिंदू धर्म को सूचित करने वाले चार वेद जो निम्नलिखित है।
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद
1) ऋग्वेद:-
ऋक अर्थात स्थिति। वेदो में सबसे पहला वेद ऋग्वेद हे, जो पद्यात्मक है। ऋग्वेद में 10 मंडल, 1028 सूक्त और इसमें 11 हजार श्लोक हैं। ऋग्वेद में शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन 5 शाखाएं हैं। इस वेद में देवताओ के आवाहन के मंत्रों और भौगोलिक स्थिति के साथ बहोत कुछ है।
2) यजुर्वेद:-
यजुर्वेद चार वेदों में से एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ है। यजुर्वेद का अर्थ यजुष् के नाम पर ही वेद का नाम यजुष्+वेद = यजुर्वेद शब्दों की संधि से बना है। यज् का अर्थ समर्पण से होता है। यजुर्वेद में यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिए गद्य और पद्य मन्त्र है। यजुर्वेद अधिकांशतः यज्ञों के नियम और और विधान हैं, अतः इसलिए यह वेद कर्मकाण्ड प्रधान भी कहा जाता है। यजुर्वेद वेद दो शाखाओ में बटा हुआ हैं शुक्ल और कृष्ण।
3) सामवेद:-
सामवेद गीत-संगीत का मुख्य वेद है। प्राचीन आर्यों द्वारा सामवेद का गान किया जाता था। सामवेद में 1875 श्लोक है, इसमे से 1504 ऋगवेद से लिए गए हैं। इस वेद में 75 ऋचाएं, 3 शाखाओ में सविता, अग्नि और इंद्र आदि देवी देवताओं के बारे में वर्णन मिलता है। सामवेद चारो वेदो में छोटा है, परंतु यह चारो वेदो का सर रूप है, और चारो वेदो के अंश इसमें शामिल किये गए है।
4) अथर्ववेद:-
सनातन धर्म के पवित्रतम चार वेदो में से चौथा वेद अथर्वेद है। महर्षि अंगिरा रचित अथर्वेद में 20 अध्याय, 730 सूक्त, 5687 श्लोक और 8 खण्ड है, जिसमे देवताओं की स्तुति के साथ, चिकित्सा, आयुर्वेद, रहस्यमयी विद्याओं, विज्ञान आदि मिलते हैं। अथर्वेद में ब्रह्माजी की सर्वत्र चर्चा होने कारण इस वेद को ब्रह्मवेद भी कहा जाता है।
वेदों के उपवेद:-
ऋग्वेद का आयुर्वेद, यजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गंधर्ववेद और अथर्ववेद का स्थापत्यवेद यह चारों वेदों के उपवेद बतलाए गए हैं।
वेद के चार विभाग है: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ऋग-स्थिति, यजु-रूपांतरण, साम-गतिशील और अथर्व-जड़। ऋक को धर्म, यजुः को मोक्ष, साम को काम, अथर्व को अर्थ भी कहा जाता है। इन्ही के आधार पर धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र की रचना हुई है।
वेदों का इतिहास:-
मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित दस्तावेज वेद को ही माना जाता है। भारत के पुणे में भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ रखी हुई हैं। इस पांडुलिपि में 30 पांडुलिपियाँ ऋग्वेद की बहुत ही महत्वपूर्ण जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया गया है। यूनेस्को द्वारा ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया गया है। यूनेस्को की महत्वपूर्ण 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण की सूची 38 है।
ब्रह्माजी द्वारा वेदो का ज्ञान सर्वप्रथम चार ऋषिओ अग्नि, वायु, अंगिरा और आदित्य को सुनाया गया था। वेद ही वैदिककाल परंपरा की सर्वोत्तम कृति है। यह पिछले छह-सात हजार ईस्वी पूर्व से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद के संयोग को विद्वानों ने वेद कहा है।
विद्वानों के अनुसार वेदो का रचनाकाल 4500 ई.पु. से माना जाता है। वेद धीरे-धीरे रचे गए और पहले तीन वेद संकलित किये गये थे ऋग्वेद यजुर्वेद और सामवेद इसे वेदत्रीय भी कहा जाता है। फिर अथर्वा ऋषि द्वारा अथर्ववेद की रचना की गई है।
वेदों का महत्व:-
वेद (introduction of Four Vedas) सनातन धर्म के मूलाधार है। वेद ही तो एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जो आर्यों की संस्कृति और सभ्यता की पहचान करवाते है। मनुष्य ने अपने शैशव में धर्म और समाज का विकास किया इसका ज्ञान केवल वेदों में ही मिलता है। वेदों से मनुष्य जाती को जीवन जीने की विभिन्न जानकारियां मिलती हैं। इनमे से कुछ प्रमुख जानकारियां निम्नलिखित है।
वेदो में वर्ण एवं आश्रम पद्धतियां की जानकारी के साथ-साथ रीति रिवाज एवं परंपराओं का वर्णन और विभिन्न व्यवसाय के बारे में वर्णन किया गया है।
वेदो में वर्ण एवं आश्रम पद्धतियां की जानकारी के साथ-साथ रीति रिवाज एवं परंपराओं का वर्णन और विभिन्न व्यवसाय के बारे में वर्णन किया गया है। महर्षि अत्रि कहते हैं की-
नास्ति वेदात् परं शास्त्रम्।
अर्थात: वेद से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं है।
और
महर्षि याज्ञवल्क्य कहते हैं की
यज्ञानां तपसाञ्चैव शुभानां चैव कर्मणाम् ।
वेद एव द्विजातीनां निःश्रेयसकरः परः ।।
अर्थात: यज्ञ के विषय में, तप के सम्बन्ध में और शुभ-कर्मों के ज्ञानार्थ द्विजों के लिए वेद ही परम कल्याण का साधन है।
प्राचीन काल से वेदों के अध्ययन और व्याख्या की परम्परा भारत में रही है। विद्वानों के अनुसार आर्षयुग में परमपिता ब्रह्मा, जैमिनि ऋषि और आदि ऋषि-मुनियों ने शब्द प्रमाण के रूप में वेद को माना हैं, और वेद के आधार पर अपने ग्रन्थों का निर्माण भी किया हैं। जैमिनि ऋषि, पराशर ऋषि, कात्यायन ऋषि, याज्ञवल्क्य ऋषि, व्यास ऋषि, आदि को प्राचीन काल के वेद वक्ता कहते हैं।
वेदों का सार:-
वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास रीति-रिवाज आदि, लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। एक ग्रंथ के अनुसार ब्रह्मा जी के चारों मुख से वेदों की उत्पत्ति हुई। वेद सबसे प्राचीनतम पुस्तक है। इसीलिए किसी व्यक्ति या स्थान का नाम वेदों पर से रखा जाना स्वाभाविक है। जैसे आज भी रामायण, महाभारत इत्यादि से आये शब्दों से मनुष्य और स्थान आदि का नामकरण किया जाता है। वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुरानी लिखित दस्तावेज है।
इस संसार के सबसे प्राचीन धर्मग्रंथ वेद ही है। वेद की वाणी ही ईश्वर की वाणी है। वेद हमारी भारतीय संस्कृति की रीढ़ हैं इनमें अनिष्ट से संबंधित उपाय तथा जो इच्छा हो उसके अनुसार उसे प्राप्त करने के उपाय संग्रहित है लेकिन जिसप्रकार किसी भी कार्य में मेहनत लगती है उसी प्रकार इन रत्न रूपी वेदों का श्रम पूर्वक अध्ययन करके ही इनमें संकलित ज्ञान को मनुष्य प्राप्त कर सकता है।
introduction of Four Vedas in English
Vedas (introduction of Four Vedas) have been unanimously accepted by all scholars as the oldest scriptures of this world. The general meaning of the word Veda is knowledge. According to Acharya Sayana, Veda is that word-sign, which tells the supernatural, divine way to get what you want and keep away evil. Vedas are the source of knowledge given to sages by Brahma.
Introduction to Vedas: –
The word Veda (introduction of Four Vedas) means “knowledge”. Vedas are not only our religious texts but also inform the religion of Hinduism. Vedas are the supreme and paramount scriptures of Hinduism. Vedas are considered to be the oldest scriptures of all scriptures of the world. Veda is almost the oldest and first written document of human civilization.
Vedas are the oldest scriptures of Sanatan Dharma and the world. Veda is completely based on the knowledge heard by sages, that is why it is called Shruti. Veda is derived from the Sanskrit word, which means knowledge. This ancient knowledge is a bottomless store of science. The solution to every problem of man is found in the Vedas.
The following are the four Vedas that inform Hinduism.
Rigveda, Yajurveda, Samaveda and Atharvaveda
1) Rigveda:-
Rik means position. The first of the Vedas is the Rigveda, which is poetic. Rigveda has 10 mandalas, 1028 suktas and 11 thousand verses in it. Shakalpa, Vaskal, Ashwalayan, Shankhayan, Mandukayan have 5 branches in Rigveda. This Veda has a lot to do with mantras of invocation of gods and geographical location.
2) Yajurveda:-
Yajurveda is one of the important Shruti scriptures out of the four Vedas. The meaning of Yajurveda is in the name of Yajush itself. The name of Veda is made from the treaty of words Yajush + Veda = Yajurveda. Yaj means dedication. Yajurveda has prose and verse mantras for the actual process of Yagya. Yajurveda is mostly the rules and regulations of Yagyas, hence this Veda is also called Karmakand Pradhan. Yajurveda Vedas are divided into two branches, Shukla and Krishna.
3) Samveda:-
Samveda is the main Veda of song and music. The Samaveda was sung by the ancient Aryans. There are 1875 verses in the Samaveda, out of which 1504 are taken from the Rigveda. There are 75 hymns in this Veda, in 3 branches there is a description of gods and goddesses like Savita, Agni, and Indra. Samveda is the smallest of the four Vedas, but it is the head form of the four Vedas, and parts of the four Vedas have been included in it.
4) Atharvveda:-
The Atharva Veda is the fourth of the four sacred Vedas of Sanatan Dharma. Atharveda composed by Maharishi Angira has 20 chapters, 730 hymns, 5687 verses, and 8 sections, in which medicine, Ayurveda, mysterious knowledge, science, etc. are found along with the praise of the gods. Due to the discussion of Brahmaji everywhere in Atharveda, this Veda is also called Brahmaveda.
Upaveda of Vedas:-
Ayurveda of Rigveda, Dhanurveda of Yajurveda, Gandharvaveda of Samaveda, and Sthpatyaveda of Atharvaveda are the sub-vedas of the four Vedas.
There are four divisions of Vedas: Rigveda, Yajurveda, Samaveda, and Atharvaveda. Rig-status, Yaju-transformation, Sama-dynamic, and Atharva-root. Rik is also called Dharma, Yajuh is called Moksha, Sama is called Kama, and Atharva is also called Artha. On the basis of these, Dharmashastra, Arthashastra, Kamashastra, and Mokshashastra have been created.
History of Vedas:-
Vedas (introduction of Four Vedas) are considered to be the oldest written documents of human civilization. The Bhandarkar Oriental Research Institute in Pune, India has 28,000 manuscripts of the Vedas. In this manuscript, 30 manuscripts of Rigveda are very important which have been included in the heritage list by UNESCO. 1800 to 1500 BC of Rigveda by UNESCO. 30 manuscripts have been included in the list of cultural heritage. India’s list of important is 38 in UNESCO’s list of important 158.
The knowledge of the Vedas was first narrated by Brahma to the four sages Agni, Vayu, Angira and Aditya. Vedas are the best work of Vedic period tradition. It has been going on from generation to generation since the last 6-7 thousand years ago. The combination of Samhita, Brahmin, Aranyaka, and Upanishad has been called Veda by the scholars.
According to scholars, the time of the creation of the Vedas was 4500 BC. considered from Vedas were composed gradually and the first three Vedas have compiled Rigveda Yajurveda and Samaveda It is also called Vedatriya. Then Atharvaveda has been composed by Atharva Rishi.
Importance of Vedas: –
Vedas are the foundation of Sanatan Dharma. Vedas are the only scriptures, which identify the culture and civilization of Aryans. Man developed religion and society in his childhood, its knowledge is found only in the Vedas. From the Vedas, the human race gets various information to live life. Some of the main information is given below.
Along with the information about Varna and Ashram methods in the Vedas, descriptions of customs and traditions and various occupations have been described.
Along with the information about Varna and Ashram methods in the Vedas, descriptions of customs and traditions and various occupations have been described. Maharishi Atri says that-
Nasti Vedat Param Shastram.
नास्ति वेदात् परं शास्त्रम्।
Meaning: There is no scripture greater than the Vedas.
And
Maharishi Yajnavalkya says that
Yagyanan tapasanchaiva shubhanam chaiva karmanam.
Vedas and Dwijatinam Nishreyaskarah Parah.
यज्ञानां तपसाञ्चैव शुभानां चैव कर्मणाम् ।
वेद एव द्विजातीनां निःश्रेयसकरः परः ।।
Meaning: Vedas are the means of ultimate welfare for Dwijs in the matter of Yagya, in relation to penance and for the knowledge of auspicious deeds.
India has had a tradition of studying and interpreting the Vedas since ancient times. According to scholars, in Arshyaug, Supreme Father Brahma, Jaimini Rishi, and Adi Rishi-Sages have considered Vedas as word proof, and have also created their books on the basis of Vedas. Gemini
Rishis, Parashara Rishis, Katyayan Rishis, Yagyavalkya Rishis, Vyas Rishis, etc. are called Veda speakers of ancient times.
Essence of Vedas:-
Vedas are full of knowledge related to Brahma (God), gods, the universe, astrology, mathematics, chemicals, medicine, nature, astronomy, geography, religious rules, history, customs, etc., almost all subjects. According to a text, the Vedas originated from the four mouths of Brahma. Veda is the oldest book. That is why it is natural to name a person or a place from the Vedas. Like even today people and places etc. are named after the words coming from Ramayana, Mahabharata, etc. The Vedas are almost the oldest written document of human civilization.
Vedas are the backbone of our Indian culture, in which the remedies related to evil and the ways to achieve it according to the desire are stored, but just as hard work is involved in any work, in the same way, only after studying these gem-shaped Vedas, the knowledge accumulated in them is stored. man can obtain.
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ha.
gita press gorakhpur ki book honi chahiye
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद मुझे ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का ज्ञान अच्छा लगा Jay Shri Ram
Bedo is knowledge book of our life style .read before too much .life style change off our life..