Gayatri Mantra Hindi [3 Minute]
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra Hindi) का अर्थ हिंदी में
“गायत्री मंत्र” (Gayatri Mantra Hindi) चारो वेदो का सबसे अधिक महत्त्व रखने वाला मंत्र है, यह ॐ के लगभग बराबर माना जाता है। गायत्री मंत्र यजुर्वेद के श्लोक ‘ॐ भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना हुआ है। गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra Hindi) को सावित्री भी कहा जाता हे, क्योकि गायत्री मंत्र में सवितृ देव की उपासना है। गायत्री मंत्र का उच्चारण करने मात्र से भगवान की प्राप्ति होती है। गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra Hindi) में 24 अक्षर हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्ति और सिद्धि के प्रतीक मने जाते हैं। यह एक ऐसा मंत्र हे जो मनुष्य के लिए दुःखनाशक, सुखस्वरूप, प्राण स्वरुप, तेजस्वी, पाप नाशक और सर्व श्रेष्ठ मंत्र है।
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गायत्री मंत्र को हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली और मंत्रमुग्ध मंत्रों में से एक माना जाता है और इसके साथ बहुत सारे लाभ जुड़े हुए हैं। इसे अक्सर जीवन-वर्धक मंत्र कहा जाता है और इसे सार्वभौमिक प्रार्थना के रूप में जाना जाता है। गायत्री मंत्र को ‘सावित्री मंत्र’ भी कहा जाता है, जो ब्रह्मांड की जीवन देने वाली शक्ति हैं, स्रोत या उत्पत्ति और प्रेरणा का प्रतीक हैं। यह मंत्र महर्षि विश्वामित्र से जुड़ा है जिन्होंने ऋग्वेद का मंडल 3 भी लिखा था।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ॐ = प्रणव अक्षर। इसकी ध्वनि कण-कण में समाहित हैं,
भू = भूमण्डल अर्थात भूलोक, पृथ्वी लोक,
र्भुवः = अन्तरिक्ष लोक अर्थात ग्र्हमंडल,
स्व: = स्वर्ग लोक,
तत = वो परमात्मा, ईश्वर,
सवित = ईश्वर बनाने वाला सूर्य,
वरेण्यम = वंदना करने योग्य,
भर्गो = तेज का या प्रकाश का,
देवश्य = देवताओ का,
धीमहि = ध्यान करते है,
धियो = बुद्धि,
यो = जो की,
न: = हमारी,
प्रचोदयात् = सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करे या प्रकाशित करे।
अर्थ:
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमेश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
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गायत्री मंत्र की महत्ता:
गायत्री मंत्र एक नव-जीवन प्रदायिनी प्रार्थना है। इस मंत्र की महत्ता भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमद्भगवत् गीता के इस कथन से ही सिद्ध होती है कि, ‘मंत्रों में मैं गायत्री मंत्र हूं।’ (गायत्री छंदसामहम् – 10/35) गायत्री का अर्थ है, जो गाने वाले की रक्षा करे (गायन्तं त्रायते इति गायत्री)। अतः यह एक रक्षिका मंत्र है, जो मंत्र का विधिपूर्वक जप करने वाले की विपत्तियों, आपत्तियों एवं आधि-व्याधि से रक्षा करता है।
गायत्री मंत्र एक ऋग्वेदिक मंत्र है। यह मंत्र उतना ही पुरातन है, जितना ऋग्वेद । ऋग्वेद के काल-निर्धारण के संबंध में विद्वानों में मतभेद है। किन्तु नक्षत्र- विषयक सूचनाओं तथा अन्य तथ्यात्मक सामग्री के आधार पर ऋग्वेद का काल कम-से-कम ईस्वी सन् से अनुमानतः चार हजार वर्ष पूर्व माना जाता है। अतः गायत्री मंत्र विगत छह हजार वर्षों से अपने उपासकों की रक्षा करता आ रहा है।
उत्तरकालीन वैदिक साहित्य में इस मंत्र को अनेक स्थानों पर उद्धृत किया गया है। इस मंत्र का जप संध्या-वंदन विधि में सूर्य-प्रार्थना के रूप में किया जाता है तथा बुद्धि एवं तेज प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र रूप से भी इसका पाठ किया जाता है।
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गायत्री मंत्र की महिमा:
गायत्री मंत्र की महिमा अकथनीय है। संसार की ऐसी कोई भी समस्या नहीं, जिसका समाधान यह मंत्र न कर सकता हो। यदि पूर्ण विधि-विधान के अनुसार इसका जप किया जाए, तो किसी भी कामना की पूर्ति हो सकती है। किन्तु आज के वातावरण में व्यक्ति को इतनी सुविधाएं, इतना अवकाश नहीं है कि वह प्राचीन ऋषियों की भांति तप कर सके। ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति दैनिकचर्या के रूप में स्नानादि की निवृत्ति के पश्चात् पूजा के समय गायत्री मंत्र का थोड़ी देर तक नियमित रूप से जाप करता रहे, तीन, पांच या सात अथवा ग्यारह माला, जितना भी संभव हो, प्रतिदिन फेरता रहे तो उसे गायत्री मंत्र का प्रभाव अवश्य ही देखने को मिल जाएगा।
गायत्री मंत्र बहुत ही सरल, सात्त्विक, सर्वत्र प्रभावी, समर्थ और सहज- साध्य है। तन, मन, धन के संकटों को दूर करके सुख-शांति प्रदान करने में यह मंत्र अद्वितीय है।
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra Hindi) जप के लाभ :-
गायत्री मंत्र के नियमित जप करने से मनुष्य के आस-पास नकारात्मक शक्तियाँ का नाश हो जाता है।
गायत्री मंत्र के जप करने से मनुष्य का तेज बढ़ता है और मानसिक चिन्ताओं से भी मुक्ति हो जाता और स्मरणशक्ति बढ़ती है।
गायत्री मन्त्र में 24 अक्षर हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्ति और सिद्धि के प्रतीक मने जाते हैं।
ऋषि मुनिओ द्वारा गायत्री मंत्र को मनुष्य की मनोकामना को पूर्ण करने वाला मंत्र कहा गया है।
गायत्री मंत्र का पाठ करने से उसके पाठक को दिव्य शक्ति प्राप्त होती है। मान्यता है कि यह मंत्र श्रद्धालु को भगवान सूर्य की शक्ति से प्रभावित करता है जो उसे दीप्ति, उत्साह और स्वास्थ्य देती है।
गायत्री महामंत्र का पाठ करने से मन की शक्ति बढ़ती है और व्यक्ति का मन शांत होता है। यह मंत्र स्वास्थ्य को भी सुधारता है और शरीर के सभी अंगों के लिए उपयोगी होता है। इस मंत्र के जप से भय और दुख से मुक्ति मिलती है।
गायत्री मंत्र का जाप करते समय हमेशा अपनी आंखें बंद करके हर शब्द पर ध्यान केंद्रित करने और उसका अर्थ समझने की कोशिश करनी चाहिए। प्रत्येक शब्द या ध्वनि का उच्चारण सही ढंग से किया जाना चाहिए, जैसा कि होना चाहिए। हालाँकि इसका जाप दिन के किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन यह सुझाव दिया जाता है कि मंत्र का जाप प्रातःकाल और रात को सोने से पहले करना श्रेष्ठ होता है।
अंततः, मंत्र जीवन देने वाले सूर्य और परमात्मा दोनों के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है। इसने भक्तों को मंत्र के प्रति हृदय-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इससे जो संवेदना जागृत होती है वह शाब्दिक अर्थ से अधिक महत्वपूर्ण है। यह एक भेंट है, अनुग्रह के लिए खुलने का, स्वयं को प्रेरित करने का एक तरीका है।
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गायत्री मंत्र के कुछ सवाल :-
गायत्री मंत्र के रचियता कौन है?
गायत्री मंत्र के रचियता विश्वामित्र को माना जाता है।
गायत्री मंत्र को किस वेद से मिला है?
गायत्री मंत्र यजुर्वेद के श्लोक ‘ॐ भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 से मिला है।
गायत्री मंत्र कितनी बार बोलना चाहिए?
गायत्री मंत्र का सुबह पूजा में बैठे तब 108 बार इसका जप करना चाहिए।
गायत्री मंत्र के कितने अक्षर हैं?
गायत्री मन्त्र में 24 अक्षर हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्ति और सिद्धि के प्रतीक मने जाते हैं।
गायत्री मंत्र का दूसरा नाम क्या है?
गायत्री मंत्र को सावित्री भी कहा जाता हे, क्योकि गायत्री मंत्र में सवितृ देव की उपासना है।
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