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दुर्गासप्तशती हिंदी में

श्री दुर्गासप्तशती (Durga Saptashati Hindi) हिंदू-धर्मका सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपाके सुन्दर इतिहास के साथ ही बड़े-बड़े गूढ़ साधन – रहस्य भरे पडे हैं। कर्म, भक्ति और ज्ञानकी त्रिविध मन्दाकिनी बहानेवाला यह ग्रन्थ भक्तों के लिये कामना कल्पवृक्ष के समान है। सकाम भक्त श्री दुर्गासप्तशती के उपासना से फल देने वाला दुर्लभतम वस्तु या स्थिति सहज ही प्राप्त करते हैं और निष्काम भक्त परम फल स्वरुप मोक्ष को पाकर संतुष्ट होते हैं।

“स्तवानामपि सर्वेषां तथा सप्तशती-स्तवः”
स्वयं भगवान महादेव भगवती पार्वती से कहते हे, की हे महादेवी पार्वती ! भौतिक सुख देने में समर्थ सप्तशती स्तोत्र से बढाकर कोई स्तुति ग्रंथ नहीं है।

श्री दुर्गासप्तशती (Durga Saptashati Hindi) रहस्य से भरा हुआ सर्वश्रेष्ठ और पवित्र ग्रंथ है। क्योकि श्री दुर्गासप्तशती में माँ दुर्गा के अलौकिक, विनाशक, करुणा, ममता, मातृत्व, युद्ध-कौशल, दया, करुणा आदि सहज गुणों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।

 

Durga Saptashati Hindi परिचय:-

श्री दुर्गासप्तशती पाठ ‘मार्कण्डेय पुराण’ में 81वें अध्याय से 94वें अध्याय तक विस्तारपूर्वक वर्णन दिया गया है। श्री दुर्गासप्तशती में 13 अध्याय 700 श्लोक से माँ दुर्गा वर्णन किया गया है। इस सप्तशती पाठ में 13 अध्याय जिन्हे तीन चरित्र भी कहते है। सप्तशती’ का अर्थ सात सौ छंदों का समूह होता है। श्री दुर्गासप्तशती का नवरात्रि के दिनों में पाठ किया जाता है।

दुर्गासप्तशती तीन चरित्र निम्नलिखित है।
1) दुर्गासप्तशती (Durga Saptashati Hindi) के पहले चरित्र में तारा, काली, छिन्नमस्ता, सुमुखी, बाला और कुब्जा का वर्णन कहा गया है।

2) दुर्गासप्तशती के दूसरे चरित्र में लक्ष्मी, काली, ललिता, दुर्गा, गायत्री, अरुन्धती और सरस्वती का विस्तृत वर्णन मिलता है।

3) दुर्गासप्तशती के तीसरे और अंतिम चरित्र में माहेश्वरी, ब्राह्मी, वैष्णवी, कौमारी, वाराही, नारसिंही और चामुंडा का वर्णन किया गया है।

राजा सुरथसे महर्षि मेधाने कहा था

‘तामुपैहि महाराज शरणं परमेश्वरीम् ।
आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा ॥

महाराज ! आप उन्हीं भगवती परमेश्वरी की शरण ग्रहण कीजिये। माँ दुर्गा आराधना से प्रसन्न होकर मनुष्यों को भोग, स्वर्ग और अपुनरावर्ती मोक्ष प्रदान करती हैं।’ महर्षि मेधा के कहने पर दुर्गासप्तशती पाठ करके ऐश्वर्यकामी राजा सुरथ ने अखण्ड साम्राज्य प्राप्त किया था।

 

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