Bhagwat Geeta Chapter 13 Hindi
श्रीमद भागवत गीता के अध्याय तेरह को क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग के नाम से जाना जाता है। भागवत गीता के तेरह अध्याय में अर्जुन ने भगावन श्री कृष्ण को कहते हे की में क्षेत्र एवं क्षेत्रज्ञ और ज्ञान एवं ज्ञान…
श्रीमद भागवत गीता के अध्याय तेरह को क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग के नाम से जाना जाता है। भागवत गीता के तेरह अध्याय में अर्जुन ने भगावन श्री कृष्ण को कहते हे की में क्षेत्र एवं क्षेत्रज्ञ और ज्ञान एवं ज्ञान…
गायत्री मंत्र चारो वेदो का सबसे अधिक महत्त्व रखने वाला मंत्र है, यह ॐ के लगभग बराबर माना जाता है। गायत्री मंत्र यजुर्वेद के श्लोक ‘ॐ भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना हुआ है।…
श्रीमद भागवत गीता के अध्याय बारह को भक्तियोग के नाम से जाना जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता के बारह अध्याय में भगवान श्री कृष्ण ने साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय का वर्णन किया है।…
100 कौरवों के नाम क्या थे? आप सभी ने महाभारत की कथा सुनी ही होगी या टीवी सिरियल में देखि होगी, इसमें 100 कौरव और पांच पांडवो के बिच में महा युद्ध हुआ था। इस युद्ध में धर्म की यानि पांडवो की जित हुई थी।…
अध्याय ग्यारहवाँ में भगवान द्वारा अपने विश्व रूप का वर्णन, संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन।, अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुतिकरना, भगवान द्वारा अपने प्रभाव का वर्णन और…
श्रीमद भागवत गीता के अध्याय दस को विभूतियोग के नाम से जानते है। भगवद गीता के अध्याय दस में 1 श्लोक से 7 में श्लोक तक भगवान श्री कृष्ण की वृद्धि और योगशक्ति का वचन तथा उनके जानने का फल…
श्रीमद भागवत गीता के नौवाँ अध्याय को राजविद्याराजगुह्ययोग कहा गया हे। भागवत गीता के अध्याय नौवाँ मे भगवान श्री कृष्णा अर्जुन को परम गोपनीय ज्ञानोपदेश, उपासनात्मक ज्ञान, ईश्वर का विस्तार, जगत की उत्पत्ति…
श्रीमद भागवत गीता के सातवे अध्याय को आत्मसंयमयोग कहा गया हे। भागवत गीता के अध्याय आठ मे भगवान श्री कृष्णा अर्जुन को कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ के लक्षण, काम-संकल्प-त्याग का महत्व का वर्णन,….
श्रीमद भागवत गीता के सातवे अध्याय को ज्ञानविज्ञानयोग कहा गया हे। श्रीमद भागवत गीताके अध्याय सात में विज्ञान सहित ज्ञान का विषय,इश्वर की व्यापकता का वर्णन, संपूर्ण पदार्थों में कारण रूप से भगवान की…
श्रीमद भागवत गीता के छठे अध्याय को आत्मसंयमयोग कहा गया हे। भगवद गीता के छठे अध्याय मे कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ के लक्षण, काम-संकल्प-त्याग कामहत्व, आत्म-उद्धार की प्रेरणा और…
श्रीमद भागवत गीता का अध्याय पांच को कर्मसंन्यासयोग कहा गया हे। भगवद गीता पांचवा अध्याय मे ज्ञानयोग और कर्मयोग की एकता, सांख्य पर का विवरण और कर्मयोगकी वरीयता, सांख्ययोगी और कर्मयोगी के लक्षण और….
श्रीमद भागवत गीता का चौथा अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग कहा गया हे। भगवद गीता का चौथा अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग मे कर्म-विकर्म एवं अकर्म की व्याख्या, कर्म में अकर्मता-भाव, नैराश्य-सुख, यज्ञ की व्याख्या,…..