Bhagwat Geeta Chapter 11 Hindi
अध्याय ग्यारहवाँ में भगवान द्वारा अपने विश्व रूप का वर्णन, संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन।, अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुतिकरना, भगवान द्वारा अपने प्रभाव का वर्णन और…
अध्याय ग्यारहवाँ में भगवान द्वारा अपने विश्व रूप का वर्णन, संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन।, अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुतिकरना, भगवान द्वारा अपने प्रभाव का वर्णन और…
श्रीमद भागवत गीता के अध्याय दस को विभूतियोग के नाम से जानते है। भगवद गीता के अध्याय दस में 1 श्लोक से 7 में श्लोक तक भगवान श्री कृष्ण की वृद्धि और योगशक्ति का वचन तथा उनके जानने का फल…
श्रीमद भागवत गीता के नौवाँ अध्याय को राजविद्याराजगुह्ययोग कहा गया हे। भागवत गीता के अध्याय नौवाँ मे भगवान श्री कृष्णा अर्जुन को परम गोपनीय ज्ञानोपदेश, उपासनात्मक ज्ञान, ईश्वर का विस्तार, जगत की उत्पत्ति…
श्रीमद भागवत गीता के सातवे अध्याय को आत्मसंयमयोग कहा गया हे। भागवत गीता के अध्याय आठ मे भगवान श्री कृष्णा अर्जुन को कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ के लक्षण, काम-संकल्प-त्याग का महत्व का वर्णन,….
श्रीमद भागवत गीता के सातवे अध्याय को ज्ञानविज्ञानयोग कहा गया हे। श्रीमद भागवत गीताके अध्याय सात में विज्ञान सहित ज्ञान का विषय,इश्वर की व्यापकता का वर्णन, संपूर्ण पदार्थों में कारण रूप से भगवान की…
श्रीमद भागवत गीता के छठे अध्याय को आत्मसंयमयोग कहा गया हे। भगवद गीता के छठे अध्याय मे कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ के लक्षण, काम-संकल्प-त्याग कामहत्व, आत्म-उद्धार की प्रेरणा और…
श्रीमद भागवत गीता का अध्याय पांच को कर्मसंन्यासयोग कहा गया हे। भगवद गीता पांचवा अध्याय मे ज्ञानयोग और कर्मयोग की एकता, सांख्य पर का विवरण और कर्मयोगकी वरीयता, सांख्ययोगी और कर्मयोगी के लक्षण और….
श्रीमद भागवत गीता का चौथा अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग कहा गया हे। भगवद गीता का चौथा अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग मे कर्म-विकर्म एवं अकर्म की व्याख्या, कर्म में अकर्मता-भाव, नैराश्य-सुख, यज्ञ की व्याख्या,…..
श्रीमद भागवत गीता का तीसरे अध्याय कर्मयोग कहा जाता हे। इस अध्याय मे ज्ञानयोग और कर्मयोग के अनुसार अनासक्त भाव से नियत कर्म करने का वर्णन, यज्ञादि कर्मों की आवश्यकता तथा यज्ञ की महिमा का वर्णन…
श्रीमद भागवत गीता का द्वितीय अध्याय सांख्ययोग कहा जाता हे। इस अध्याय मे अर्जुन की कायरता के विषय मे श्री कृष्ण और अर्जुन का संवाद का वर्णन, गीताशास्त्र का अवतरण का वर्णन, क्षत्रिय धर्म…
श्रीमद भागवत गीता का पहला अध्याय अर्जुनविषादयोग के रूप मे हे। जो भगवान श्री कृष्णा अर्जुन को महान युद्धाओ के परिचय देते हे। यह अध्याय उसकी प्रस्तावना के रूप है। श्रीमद भागवत गीता महाभारत के…
शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् महान शिव भक्त अदि शंकराचार्य द्वारा रचित स्तोत्र हे। यह मंत्र द्वारा आदि शंकराचार्य ने भगवान भलेनाथ की स्तुति की है। शास्त्रों मे कहा गया हे की भगवान शिव को प्रसन्न…