loader image

श्रृंगार शतकम् हिंदी में

श्रृंगार शतकम् (Shringar Shatakam) प्रसिद्ध संस्कृत कवि और दार्शनिक भर्तृहरि द्वारा रचित तीन प्रसिद्ध शतकों में से एक है। भर्तृहरि संस्कृत साहित्य के महान कवि और दार्शनिक थे। उनके द्वारा रचित शृंगार शतक, नीतिशतक, और वैराग्यशतक भारतीय काव्य और दर्शन की अद्भुत कृतियां मानी जाती हैं। शतकम् शब्द का अर्थ है “सौ छंदों का संग्रह”, और श्रृंगार शतकम् विशेष रूप से श्रृंगार (कामुक प्रेम, सौंदर्य और रोमांस) के विषय पर केंद्रित है । अपने गहन विचार और भाषा पर महारत के लिए जाने जाने वाले भर्तृहरि को पारंपरिक रूप से सौ-सौ श्लोकों के तीन संग्रहों का श्रेय दिया जाता है।

यहां एक क्लिक में पढ़ें ~ हिंदू धर्म के सोलह संस्कार

‘श्रृंगार शतक’ (Shringar Shatakam) में स्त्रियों की देहयष्टि, कटाक्ष, हावभाव, सौन्दर्य आदि के विषय में चर्चा करते हुए गृहस्थ जनों के लिए स्त्री के बिना संसार को अंधकार से ढका हुआ बता कर उसका पुरुष के लिए आवश्यक होना स्वीकार किया है। परन्तु अन्त में उसकी निन्दा करते हुए उनके मोह-जाल से त्रिरक्त होने वाले पुरुष की प्रशंसा की है। श्रृंगार शतकम् में शास्त्रीय संस्कृत में लिखे गए 100 स्वतंत्र छंद हैं। प्रत्येक छंद अपने आप में एक संपूर्ण विचार या भाव प्रस्तुत करता है।

श्रृंगार शतकम् में वर्णित भावनाएं और परिदृश्य समय और संस्कृति से परे हैं, जिससे यह आज भी प्रासंगिक है। भर्तृहरि अपने काव्य के सौंदर्यात्मक आकर्षण को बढ़ाने के लिए प्रकृति, ऋतुओं और मानवीय भावनाओं का विशद वर्णन करते हैं। भर्तृहरि सांसारिक सुखों की क्षणभंगुरता पर विचार करते हैं, तथा जीवन की गहरी समझ को प्रोत्साहित करते हैं।

यहां एक क्लिक में पढ़ें ~ तांत्रोक्तम् देवी सूक्तम्

शृंगार शतक (Shringar Shatakam) में प्रेम को भौतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा गया है। इसमें नायक-नायिका के प्रेम प्रसंग, उनके संवाद, और प्रकृति के माध्यम से प्रेम की कोमलता का चित्रण मिलता है। भर्तृहरि ने काव्य में अलंकार, छंद, और रस का ऐसा प्रयोग किया है, जो पाठकों को भाव-विभोर कर देता है। इसमें शृंगार रस का प्रमुखता से उपयोग हुआ है, जो प्रेम के सौंदर्य को जीवंत करता है। शृंगार शतक में प्रेम और कामना के साथ-साथ जीवन की यथार्थता का भी वर्णन मिलता है। यह प्रेम के सुख और पीड़ा दोनों पक्षों को उजागर करता है।

श्रृंगार शतकम आधुनिक पाठकों के साथ प्रतिध्वनित होता है क्योंकि यह मानवीय भावनाओं की सार्वभौमिकता को दर्शाता है। प्रेम, इच्छा, अलगाव और गहरे अर्थ की खोज के विषय कालातीत हैं और सभी संस्कृतियों और युगों में प्रासंगिक हैं। इसके छंद आध्यात्मिक विकास के साथ सांसारिक सुखों को संतुलित करने पर एक गहन टिप्पणी भी प्रदान करते हैं – एक संदेश जो आज की तेज़-तर्रार और भौतिकवादी दुनिया में प्रासंगिक बना हुआ है।

श्रृंगार शतक मानवीय भावनाओं की एक कालातीत खोज है, जो साहित्य, दर्शन और अध्यात्म के प्रेमियों को समान रूप से आकर्षित करती है। भर्तृहरि के छंद सार्वभौमिक रूप से गूंजते हैं, जो इच्छा और वैराग्य की कालातीत दुविधाओं को पकड़ते हैं। इसके छंद प्रेम और लालसा के अपने सार्वभौमिक चित्रण के साथ आधुनिक पाठकों को प्रेरित करते रहते हैं, जिससे यह संस्कृत विरासत का एक अनमोल रत्न बन जाता है।

शृंगार शतक (Shringar Shatakam) भारतीय काव्य परंपरा में एक अनमोल रचना है। यह न केवल प्रेम और सौंदर्य की भावना को उजागर करता है, बल्कि मानवीय जीवन के गूढ़ रहस्यों को भी खोलता है। भर्तृहरि का यह काव्य आज भी प्रेम, दर्शन, और सौंदर्य के पाठकों को आकर्षित करता है।

यह भी पढ़े

श्रीमद्भगवद्गीता हिंदी में

108-उपनिषद हिंदी में

श्री रामचरितमानस हिंदी में

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

महाकाल लोक उज्जैन

श्री सत्यनाराण व्रत कथा

Please wait while flipbook is loading. For more related info, FAQs and issues please refer to DearFlip WordPress Flipbook Plugin Help documentation.

Share

Related Books

Share
Share