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Rudrashtakam Lyrics in Hindi

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Rudrashtakam Lyrics in Hindi

शिव रुद्राष्टक (Rudrashtakam in Hindi) हिंदी में अर्थ सहित

“शिव रुद्राष्टकम” (Rudrashtakam in Hindi) भगवान शिव की अद्भुत स्तुति है। “शिव रुद्राष्टकम” का पाठ करने से शत्रुओं का नाश पल भर में हो जाता है। शिव रुद्राष्टकम का पाठ शिव मंदिर या अपने घर में कुशा आसान बनाकर उस आसान पर बेठे और सुबह शाम लगातार सात दिनों तक भगवान शिव की स्तुति “शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र” (Rudrashtakam in Hindi) का पाठ करने भगवान शिव सदैव भक्तों की रक्षा करते हैं।

रामायण में भगवान श्री राम ने लंकापति रावण पर विजय पाने के लिए, श्रद्धापूर्वक शिव रुद्राष्टकम (Rudrashtakam in Hindi) का पाठ रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना करके किया था। शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र के फल स्वरुप भगवान श्री राम का लंका पर विजय हुआ था।

“शिव रुद्राष्टकम” गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा रचित आठ श्लोकों का स्तोत्र है। “शिव रुद्राष्टकम” (Rudrashtakam in Hindi) रामचितमानस के उत्तरकाण्ड के दोहा 108 के पहले दिया गया है। यह स्तोत्र भगवन शिव को स्तुति अर्पित है। शिव रुद्राष्टक भगवान शिव के कई कार्यों का वर्णन करता है।

वेदो, पुराणों और हिन्दू सनातन धर्म में भगवान शिव का सर्व देवो में श्रेष्ठ स्थान रहा है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव शंकर सरलता से प्रसन्न हो जाने वाले देव हैं। भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता हे, क्योकि श्रद्धा पूर्वक कोई भक्त यदि एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो तुरंत प्रसन्न हो जाते है। इसलिए भगवान शिव को भोलेनाथ कहते है।

यहां एक क्लिक में पढ़ें- श्रावण मास में शिव के प्रिय बिल्व पत्र

 

श्री शिव रूद्राष्टकम

 

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥ 1 ॥

अर्थ :-
हे मुक्तिस्वरूप, समर्थ, सर्वव्यापक, ब्रह्म, वेदस्वरूप, निजस्वरूपमें स्थित, निर्गुण, निर्विकल्प, निरीह, अनन्त ज्ञानमय और आकाश के समान सर्वत्र व्याप्त प्रभुको में प्रणाम करता हूँ।

 

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥ 2 ॥

अर्थ:-
जो निराकार हैं, ओंकार रूप तुरीय हैं, वाणी, बुद्धि और इन्द्रियों से भी परे हैं, कैलासनाथ हैं, विकराल और महाकाल के भी काल, परम कृपाल, गुणों के सागर और संसार से तारने वाले हैं, उन भगवान महादेव को मैं नमस्कार करता हूँ।

 

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥ 3 ॥

अर्थ:
जो हिमालयके समान श्वेतवर्ण और गम्भीर है, और करोड़ों कामदेव की ज्योति है, जिनके सिरपर पवित्र गंगा लहरा रही हैं, जिनके ललाट पर बाल चन्द्रमा सुशोभित हैं, और गलेमें सर्पोंकी माला शोभित है।

 

यहां एक क्लिक में पढ़ें- “शिव तांडव स्तोत्र”

 

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ 4 ॥

अर्थ:
जिनके कानोंमें कुण्डल हिल रहे हैं, जिनके नेत्र एवं भृकुटी सुन्दर और विशाल हैं, जिनका मुख प्रसन्न और कण्ठ नील है, जो बड़े ही दयालु हैं, जो बाघ की खालका वस्त्र और मुण्डों की माला पहनते हैं, उन सर्वाधीश्वर प्रियतम महादेव का मैं भजन करता हूँ।

 

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥ 5 ॥

अर्थ:
जो प्रचण्ड, सर्वश्रेष्ठ, प्रगल्भ, परमेश्वर, पूर्ण, अजन्मा, कोटि सूर्यके समान प्रकाश वाले, त्रिभुवनके शूलनाशक और हाथमें त्रिशूल धारण करने वाले हैं, उन भावगम्य भवानीपति शिव का मैं भजन करता हूँ।

 

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ 6 ॥

अर्थ:
हे प्रभो! आप कलारहित, कल्याणकारी और कल्पका अन्त करनेवाले हैं। आप सर्वदा सत्पुरुषोंको आनन्द देने वाले हैं, आपने त्रिपुरासुरका नाश किया, आप मोहनाशक और ज्ञानानन्दघन परमेश्वर परम कृपालु हैं, कामदेवके आप शत्रु हैं, आप मुझपर प्रसन्न हों, प्रसन्न हों।

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥ 7 ॥

अर्थ:
मनुष्य जबतक उमाकान्त महादेवजी के चरणारविन्दों का भजन नहीं करते हे, उन्हें परलोकमें कभी सुख और शान्ति को प्राप्त नहीं होता, और उनका सन्ताप कभी दूर नहीं होता है। हे समस्त भूतोंके निवासस्थान भगवान् शिव! आप मुझपर प्रसन्न हों।

 

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥ 8 ॥

अर्थ:
हे महादेव ! हे शम्भो ! हे ईश ! मैं योग, जप और पूजा कुछ भी नहीं जानता, हे शिव ! मैं सदा-सर्वदा आपको नमस्कार करता हूँ। जरा, जन्म और दुःख समूहसे सन्तप्त होते हुए मुझ दुःखी की आप रक्षा कीजिये॥8॥

 

यहां एक क्लिक में पढ़ें- “शिव महिम्न: स्तोत्रम्”

 

॥ इति श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

 

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Rudrashtakam Lyrics in English

 

Namami Shamishan Nirvan Roopam
Vibhum Vyapakam Brahma Veda Swaroopam ।
Nijam Nirgunam Nirvikalpam Nireeham
Chidakaash Maakash Vaasam Bhajeham ॥ 1 ॥

Meaning :-
I offer my obeisances to the Lord who is free, capable, all-pervading, Brahman, Vedaswaroop, situated in the form of self, nirguna, nirvikalpa, nirhi, infinite knowledgeable and all-pervading like the sky.

 

 

Nirakaar Omkar Moolam Turiyam
Giragyaan Goteet Meesham Girisham ।
Karaalam Mahakaal Kaalam Kripalam
Gunagaar Sansaar Paaram Naatoham॥ 2 ॥

Meaning:-
I bow to Lord Mahadev, who is formless, Omkar form Turiya, who is beyond speech, intelligence and senses, who is Kailasanath, who is the destroyer of time, the most merciful, the ocean of virtues and the world.

 

 

Tusharaadri Sankaash Gauram Gabheeram
Manobhoot Koti Prabha Shi Shareeram ।
Sfooranmauli Kallolini Charu Ganga
Lasadbhaal Baalendu Kanthe Bhujanga॥ 3 ॥

Meaning:
Who is as white as the Himalayas and deep, and is the light of crores of Cupids, on whose head the holy Ganges is waving, whose hair is adorned with the moon, and a garland of snakes adorns his neck.

 

 

Chalatkundalam Bhru Sunethram Vishaalam
Prasannananam Neelkantham Dayalam ।
Mrigadheesh Charmaambaram Mundamaalam
Priyam Shankaram Sarvanaatham Bhajaami ॥ 4 ॥

Meaning:
Whose earrings are vibrating, whose eyes and brows are beautiful and large, whose face is pleasant and throat blue, who is very kind, who wears tiger’s skin clothes and garlands of heads, I worship that Supreme Lord Mahadev. am.

 

 

Prachandam Prakrishtam Pragalbham Paresham
Akhandam Ajambhaanukoti Prakaasham ।
Trayahshool Nirmoolanam Shoolpaanim
Bhajeham Bhawani Patim Bhaav Gamyam ॥ 5 ॥

Meaning:
I worship that Bhavanipati Shiva, who is Prachanda, the best, Pragalbha, God, complete, unborn, having light like crores of suns, destroyer of Tribhuvan and holding Trishul in his hand.

 

 

Kalateet Kalyaan Kalpantkaari
Sada Sajjanaanand Daata Purari ।
Chidaanand Sandoh Mohapahari
Praseed Praseed Prabho Manmathari ॥ 6 ॥

Meaning:
Oh, Lord! You are artless, benevolent and the end of imagination. You are always the one who gives joy to good men, you destroyed Tripurasura, you are the most merciful God who destroys illusion and knowledge, you are the enemy of Cupid, you be happy with me, be happy.

 

 

Nayaavad Umanath Paadaravindam
Bhajanteeha Lokey Parewa Naraanaam ।
Na Tawatsukham Shaantisantapnaasham
Praseed Prabho Sarvabhootadhivaasam ॥ 7 ॥

Meaning:
As long as humans do not worship the feet of Umakant Mahadevji, they never get happiness and peace in the hereafter, and their sorrow never goes away. O Lord Shiva, the abode of all ghosts! May you be pleased with me

 

 

Na Jaanaami Yogam Japam Naiva Poojaam
Na Toham Sada Sarvada Shambhu Tubhhyam ।
Jarajanm Dukhhaudya Taapatyamaanam
Prabho Paahi Aapan Namaami Shri Shambho ॥ 8 ॥

Meaning:
Hey Mahadev! Hey Shambho! Hey Ish! I do not know anything about yoga, chanting and worship, O Shiva! I always salute you. Please protect me who is in sorrow while being fed up with the group of births and sorrows.

 

॥ Iti Shri Rudrashtakam Sampoornam ॥

 

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